बजट को लेकर अर्थशास्त्रियों की राय, लोकलुभावन बजट से बिगड़ेगा राजकोषीय गणित

Friday, Feb 01, 2019 - 04:53 PM (IST)

मुंबईः अर्थशास्त्रियों ने शुक्रवार को पेश वित्त वर्ष 2019-20 के अंतरिम बजट को लोकलुभावन बताते हुए कहा है कि इससे राजकोषीय गणित बिगड़ेगा। उनका कहना है कि अंतरिम बजट में राजकोषीय मजबूती पर लोकलुभावन घोषणाओं को तरजीह दी गई है। विशेषरूप से सरकार ने आम चुनाव से पहले किसानों और मध्यम वर्ग को लुभाने का प्रयास किया हैं। हालांकि, इन उपायों से उपभोग गढ़ेगा। उन्होंने कहा कि किसानों को 6,000 सालाना की न्यूनतम आय तथा आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की घोषणा राजकोषीय गणित की कीमत पर की गई है।

जापानी ब्रोकरेज नोमूरा ने नोट में कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2018-19 के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से लगातार चूक तथा वित्त वर्ष 2019-20 के लिए लक्ष्य को उसी स्तर पर कायम रखना ‘आश्चर्यजनक तौर पर नकारात्मक’ है। इससे 2020-21 में राजकोषीय घाटे को कम कर तीन प्रतिशत पर लाने के लक्ष्य पर सवाल खड़ा होता है।रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी कहा है कि अंतरिम बजट में खर्च बढ़ाने के कदम उठाए गए हैं जबकि राजस्व बढ़ाने के उपाय नहीं किए गए है। लगातार चार वर्ष तक सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाएगी जो देश की वित्तीय साख की ²ष्टि से प्रतिकूल है।

यस बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री शुभदा राव ने कहा कि आयकर छूट और गरीब किसानों को न्यूनतम आय, दोनों ही कदम उपभोग बढ़ाने वाले हैं। डन एंड ब्रैडस्ट्रीट के प्रमुख अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा कि किसानों और मध्यम आय वर्ग के लिए जो घोषणाएं की गई हैं उनसे 2019-20 में राजकोषीय घाटे पर दबाव रहेगा। राव ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय मोर्चे पर मामूली चूक रहेगी। किसानों को राहत से राजकोषीय मजबूती की दिशा में भी कदम बाधित होगा, क्योंकि मतदाताओं को खुश करना चाहती है।

Isha

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