अफगानी व्यापार ठप होने से भारत में त्योहारों के दौरान हो सकती है मेवों की किल्लत

Wednesday, Aug 25, 2021 - 11:32 AM (IST)

चंडीगढ़ः अफगानिस्तान में तालिबान के तख्तापलट के बाद भारत में अफगानी व्यापार ठप होने के बाद त्यौहारी सीजन से पहले  ही सूखे मेवों के दाम आसमान छूने लगे हैं। अफगानिस्तान के हालात जल्द नहीं सुधर तो भारत में त्यौहारों के सीजन में मेवों की भारी किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। बादाम की बात करें तो इस बार इसकी आपूर्ति अमरीका से भी कम होने की संभावना है है क्योंक सूखे के चलते वहां पर बादाम के उत्पादन में भारी कमी आई है। 

ऐसी स्थिति में बादाम के दाम के अभी से ही बढ़ने लगे है। अफगानिस्तान बंद होने के कारण सबसे ज्यादा केसर के दामों में आठ गुना से ज्यादा बढ़़ोतरी हुई है। इसके दाम जहां दो सप्ताह पहले 5 हजार रुपए थे अब यह 42 हजार प्रति किलो हो चुके हैं। अफगानिस्तान से भारत में बादाम, पिस्ता, अंजीर, मुनक्का, केसर, किशमिश आदि मेवों का आयात होता है। मगर तालिबान ने पाकिस्तान सीमा सील कर दी है, जिससे भारत में मेवे नहीं पहुंच पा रहे हैं क्योंकि वहां से मेवों की आपूर्ति पाकिस्तान के रास्ते ही होती है।

मेवा कारोबारी दलजीत सिंह कहते हैं कि भारत में आयात होने वाले बादाम 80-90 फीसदी हिस्सेदारी अमरीका के कैलिफोर्निया बादाम की है।

आपूर्ति ठप होने का असर फौरन दिखने लगा है क्योंकि पिछले 10-12 दिन में अफगानी बादाम के दाम 650-700 रुपए से बढ़कर 800-900 रुपए प्रति किलोग्राम हो गए हैं। 1,400-1,500 रुपए किलो के भाव बिकने वाला पिस्ता भी 1,600 से 1,800 रुपए के बीच पहुंच गया है। जबकि अंजीर 200 रुपए चढ़कर 1,000-1,200 रुपए किलो हो गया है। अफगानी मेवों के प्रमुख कारोबारी बलवीर बजाज ने बताया कि पहले अफगानिस्तान से रोजाना 6 से 8 ट्रक मेवे आते थे मगर तालिबान के कब्जे छ के बाद उनका आना बंद हो गया है। इससे देश में मेवे महंगे हो गए हैं। बजाज कहते हैं कि आपूर्ति बहाल होते ही दाम पहले जैसे हो जाएंगे मगर हालात बिगड़ गए तो कुछ भी नहीं कहा जा सकता।

भारत में अमरीका से आयात करता है सर्वाधिक बादाम
दिल्ली के व्यापारियों का कहना है कि देश में त्योहारों का मौसम शुरू होने के साथ ही मेवों की खरीद भी शुरू हो गई है। ऐसे में अफगानिस्तान से मेवों की आवक महीने भर भी बंद रही तो त्योहारों पर मेवों की कमी हो सकती है। उस सूरत में ये और भी महंगे हो सकते हैं क्योंकि सबसे ज्यादा मेवे भारत भेजने वाले अमेरिका में भी बादाम की उपज इस बार कम है।

देश में अटकलों से भी बढ़ सकती हैं कीमतें  
अमेरिकी कृषि विभाग ने पहले 3.2 अरब पाउंड बादाम उत्पादन का अनुमान लगाया था लेकिन जुलाई में सूखे के बाद इसे घटाकर 2.8 अरब पाउंड कर दिया गया। अफगानिस्तान से मेवे नहीं आए तो दूसरे निर्यातक देशों से मांग पूरी कर पाना आसान नहीं होगा। हालांकि कारोबारी सूत्र यह भी कहते हैं कि बाजार में मेवों की इतनी किल्लत नहीं हुई है, जितने दाम बढ़ गए हैं। निर्यातकों की संस्था फियो के महानिदेशक और सी.ई.ओ. अजय सहाय भी कहते हैं कि आयात उतना कम नहीं हो सकता कि हमारी घरेलू जरूरतें प्रभावित हो जाएं। मगर अटकलों से कीमतें बढ़ सकती हैं।

दूसरे देशों से आयात पर बढ़ जाएगी ढ़लाई
भारत अमेरिका और दूसरे बाजारों से भी सूखे मेवों का आयात करता है। लेकिन वहां से दूरी अधिक होने के कारण माल ढुलाई का खर्च बढ़ जाएगा और शुल्क भी अधिक लगेगा क्योंकि उनके साथ अफगानिस्तान जैसा व्यापार समझौता नहीं है। बहरहाल सहाय मानते हैं कि 15 दिन से एक महीने के भीतर अफगानिस्तान में हालात काबू में आ जाएंगे। सहाय बताते हैं कि अफगानिस्तान से भारत का आयात बहुत कम है, जो वर्ष 2020-21 में कुल आयात का सिर्फ 0.13 फीसदी रहा। पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत से होने वाले कुल निर्यात में भी इसकी हिस्सेदारी महज 0.28 फीसदी रही।
 

jyoti choudhary

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