दाल की गिरती कीमतें किसानों के लिए बन रही परेशानियों का सबब

Thursday, Jan 18, 2018 - 12:18 PM (IST)

नई दिल्लीः गिरती हुई दाल की कीमतें किसाने के लिए परेशानियां का सबब बन रहा है।  किसानों को उनकी उपज का मूल्य सरकार द्वारा तय की गई कीमतों से भी कम मिल रहा है। पिछले दो महीने में दाल की कीमतों में करीब 25 फीसदी तक जबकि साल भर में 40 फीसदी तक की गिरावट हो चुकी है। पैदावार अधिक होने की उम्मीद और नई फसल नजदीक होने के कारण कीमतों में गिरावट का सिलसिला फिलहाल थमने के आसार नहीं हैं।

आयात शुल्क बढ़ाने का भी नहीं हुआ कोई असर 
दाल की कीमतों में गिरावट का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, हालांकि घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में हो रही गिरावट को रोकने के लिए सरकार ने बीते 21 दिसंबर को चने और मसूर के आयात पर शुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया। इससे पहले पीली मटर पर आयात शुल्क बढ़ाकर 50 फीसदी किया जा चुका है। आयात शुल्क बढ़ाने का असर भी बाजार पर नहीं हुआ और दाल की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।

चने और मसूर के रकबे में हुई बढ़ोतरी
देश में दलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित किया जिसका असर भी देखने को मिला। इस बार रबी सीजन में चने और मसूर के रकबे में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। चालू रबी सीजन में बुआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अभी तक देशभर में 160.91 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुआई हुई है जबकि पिछले साल 154.05 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुआई हुई थी।

इस सीजन की सबसे प्रमुख फसल चने का रकबा पहली बार 100 लाख हेक्टेयर की सीमा को पार करके 105.61 लाख हेक्टेयर पहुंच चुका है जो पिछले साल 97.90 लाख हेक्टेयर था। इस बार चने की बुआई पिछले साल की अपेक्षा करीब 10 फीसदी अधिक है। मसूर की बुआई 17.19 लाख हेक्टेयर मेंं हुई जो पिछले साल से अधिक है। 
 

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