पीपीपी मॉडल में सेवा के तौर पर आएंगे ड्रोन

Monday, Feb 27, 2023 - 02:21 PM (IST)

नई दिल्लीः ई-कॉमर्स कंपनियां जल्द ही ड्रोन किराये पर दे सकती हैं। आप ऐप के जरिए ड्रोन की बुकिंग ठीक उसी तरह कर सकते हैं जैसे कैब बुक की जाती हैं। इस तरह आप दूर-दराज तक इस्तेमाल करने के लिए भी ड्रोन बुक कर सकते हैं। इसका मतलब साफ है कि ड्रोन निर्माताओं को नए सिरे से बाजार विकसित करने की जरूरत नहीं होगी ब​ल्कि उन्हें तैयार बाजार मिल जाएगा।

तकनीक को आगे बढ़ाने वाली सरकार की एजेंसी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) एक बहुत बड़ी व्यावसायिक पायलट परियोजना को अंतिम रूप दे रही है। इस योजना के तहत देश के विभिन्न स्थानों से 16 कंपनियों या कंसोर्टियम को न्योता देने पर विचार किया जा रहा है। ये कंपनियां या कंसोर्टियम निजी-सार्वजनिक साझेदारी के तहत 12 महीने तक ड्रोन की सेवा मुहैया कराएंगी।

ईओडीबी ने ड्रोन के वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए चार क्षेत्रों की पहचान की है: ई-कॉमर्स डिलिवरी, खेती में इस्तेमाल, मानचित्रण एवं सर्वेक्षण, लॉजि​स्टिक्स, निगरानी एवं एसओएस बचाव। ड्रोन कमर्शियल पायलट परियोजना के ब्योरे की घोषणा अगले महीने की जाएगी। हरके कंपनी को कम से कम 10 ड्रोन के साथ शुरुआत करनी होगी। कंपनियों का चयन उनके उपयोग और तकनीकी वा​णि​ज्यिक मूल्यांकन के आधार पर किया जाएगा।

ईओडीबी के कार्यक्रम निदेशक अ​​भिजित सिन्हा ने कहा, ‘करीब 16 मंत्रालयों ने निजी ड्रोन विनिर्माताओं एवं ऑपरेटरों के साथ कंसोर्टियम में यह परियोजना शुरू करने में दिलचस्पी दिखाई है। कोयला, तेल, रक्षा, परिवहन, पुलिस और रेलवे के कई सार्वजनिक उपक्रमों ने भी इस परियोजना में दिलचस्पी दिखाई है। नीति के तहत उन्हें इस परियोजना में भाग लेने के लिए पहली प्राथमिकता दी जाएगी। उसके बाद निजी क्षेत्र एवं एफडीआई निवेशकों को भी न्योता दिया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि योजना लागू होने के बाद वे इसके लिए आवेदन कर सकेंगे।

ड्रोन का कोई इस्तेमाल वा​​णि​ज्यिक तौर पर व्यावहारिक है या नहीं, इस बात का परीक्षण ड्रोन के लिए सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लिए जरूरी है। इसके तहत अगले तीन वर्षों के दौरान प्रोत्साहन के लिए 120 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए हैं। सरकार ने इस परियोजना के लिए 12 ड्रोन विनिर्माता और 11 ड्रोन कलपुर्जा विनिर्माता पहले ही चुन लिए हैं। इस योजना के जरिये सुनिश्चित किया जाएगा कि इन विनिर्माताओं के पास ईओडीबी परियोजना के जरिये ड्रोन के वा​​णि​ज्यिक उपयोग के व्यावहारिक तरीके पहले ही हों।

ड्रोन नीति तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नागरिक उड्डयन मंत्रालय के पूर्व संयुक्त सचिव अंबर दुबे ने कहा, ‘ड्रोन ईओडीबी परियोजना सही समय पर शुरू की गई है और यह बेहद आवश्यक है। ड्रोन उद्योग शैशवावस्था में है और इससे नई पहल करने वाली मगर तंगहाल स्टार्टअप को उदार ड्रोन नियमों और पीएलआई योजना का पूरा लाभ उठाने में मदद मिलेगी।’

वाणिज्यिक परीक्षण के लिए पात्रता मानदंड पूरा करने वालों को ड्रोन के उपयोग के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय से सभी आवश्यक लाइसेंस एवं मंजूरियां एकल-खिड़की से उपलब्ध होंगी। जिन राज्यों ने वाणिज्यिक परियाजना चलाने में दिलचस्पी दिखाई है उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे इसे अधिक किफायती बनाने के लिए किराये में कुछ सब्सिडी दें। ड्रोन को सेवा के रूप में संचालित करने के लिए व्यावहारिक किराया तय करना पड़ेगा, जो उपभोक्ताओं के साथ-साथ ऑपरेटरों को भी स्वीकार हो।

परीक्षण सफल रहने पर ईओडीबी मेजबान राज्य को यह परियोजना सौंप देगी ताकि वे इसे अगले स्तर पर ले जा सकें। नीति आयोग इसके लिए नीतिगत ढांचा तैयार करेगा। ईओडीबी की नजर ड्रोन के वै​श्विक राजस्व (विनिर्माण एवं सेवा) में 25 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने पर है। साल 2027 तक भारत में ड्रोन से कमाई 10 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
 

jyoti choudhary

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