वीरान शहरों में दफन हो रहे अपना घर बनाने के सपने

Sunday, Aug 04, 2019 - 12:48 PM (IST)

नई दिल्लीः हाल ही में आम्रपाली मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश से भारत का रियल्टी सैक्टर और घरों के लाखों खरीदारों के सपने दफन हो रहे हैं क्योंकि अधूरे और रुके प्रोजैक्ट्स की बढ़ती संख्या के चलते वीरान शहर बनना जारी हैं। 

एनाराक प्रापर्टी कंसल्टैंट्स के आंकड़ों के अनुसार देश के रियल एस्टेट की काली सच्चाई की भयावहता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि देश के शीर्ष 7 शहरों में 220 प्रोजैक्ट्स के लगभग 1.74 लाख घरों का निर्माण रुका पड़ा है। एनाराक की रिपोर्ट के अनुसार साल 2013 या इससे भी पहले लांच हुए इन प्रोजैक्ट्स पर कोई निर्माण कार्य नहीं हो रहा है। जिन घरों का निर्माण रुका हुआ है उनकी कुल कीमत लगभग 1,774 अरब रुपए है। इनमें से ज्यादातर प्रोजैक्ट्स पैसों से संबंधित मुद्दों या कानूनी मामलों के कारण रुके हैं। लगभग 1.15 लाख घर (कुल अधूरे घरों का लगभग 66 प्रतिशत) खरीदारों को पहले ही बेचे जा चुके हैं, जिसके कारण वे मजबूरन मझधार में अटके हैं। अब वे या तो संबंधित डिवैल्पर या कानून के रहमो-करम पर हैं। इन बेचे गए घरों की कुल कीमत लगभग 1.11 लाख करोड़ रुपए है। 

सबसे ज्यादा अधूरे घर एन.सी.आर. में 
आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा अधूरे घर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एन.सी.आर.) में हैं, जहां 67 प्रोजैक्ट्स के 1.18 लाख घर अधूरे पड़े हैं, जिनकी कीमत 82.2 हजार करोड़ है। इनमें से 69 प्रतिशत (83,470) घर बेचे जा चुके हैं। एन.सी.आर. में 98 प्रतिशत अधूरे प्रोजैक्ट्स सिर्फ नोएडा और ग्रेटर नोएडा में हैं, वहीं गुरुग्राम, गाजियाबाद जैसे शहरों में यह आंकड़ा कम है। अधूरी परियोजनाओं के मामले में इसके बाद मुम्बई महानगर क्षेत्र (एम.एम.आर.) का नंबर आता है, जहां पूरे शहर में 38,060 घर अधूरे पड़े हैं। ये घर 89 प्रोजैक्ट्स में हैं, वहीं एन.सी.आर. में अधूरे घर वाले प्रोजैक्ट्स की संख्या 67 है। इसके बाद पुणे आता है जहां 9,650 घरों के लगभग 28 प्रोजैक्ट्स लंबित हैं। इसके बाद हैदराबाद जहां 4,150 घर, बेंगलूर में 3,870 घर अधूरे पड़े हैं।
 

jyoti choudhary

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