भारत में महामारी के बाद नकदी का उपयोग हुआ कम, Digital Payments में आई तेजी

punjabkesari.in Wednesday, Oct 23, 2024 - 04:43 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः मार्च 2024 तक उपभोक्ता खर्च का 60 प्रतिशत हिस्सा अभी भी नकद में होता है लेकिन COVID के बाद इसकी हिस्सेदारी तेजी से घट रही है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक अध्ययन के अनुसार, डिजिटल भुगतान का हिस्सा तीन वर्षों में 14-19 प्रतिशत से बढ़कर 40-48 प्रतिशत हो गया है। आरबीआई के मुद्रा प्रबंधन विभाग के प्राध्यापक प्रदीप भुइयां ने "Cash Usage Indicator for India" शीर्षक से एक पेपर में कहा, “नकद उपयोग सूचकांक (CUI) दिखाता है कि नकद का उपयोग महत्वपूर्ण है, लेकिन अध्ययन की अवधि में यह घट रहा है।”

CUI, जो निजी अंतिम उपभोग व्यय में नकद उपयोग के हिस्से को दर्शाता है, जनवरी-मार्च 2021 में 81-86 प्रतिशत था, जो जनवरी-मार्च 2024 तक 52-60 प्रतिशत तक आ गया है। डिजिटल भुगतान प्लेटफार्मों, खासकर यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को 2016 में 500 और 1000 रुपए के नोटों के विमुद्रीकरण के दौरान लॉन्च किया गया था लेकिन इसका वास्तविक उपयोग COVID-19 के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के बाद बढ़ा।

अध्ययन में नकद और डिजिटल मोड के माध्यम से उपभोक्ता खर्च के विभिन्न डेटा का विश्लेषण किया गया है। 2016-17 में UPI की औसत लेनदेन राशि 3872 रुपए थी, जो 2023-24 में 1525 रुपए हो गई है। इसी समय, नकद का उपयोग कम मूल्य की खरीदारी के लिए किया जा रहा है। जनता के पास मौजूद मुद्रा (CWP) का GDP अनुपात 2020-21 में 13.9 प्रतिशत पर पहुंच गया था लेकिन 2023-24 में यह घटकर 11.5 प्रतिशत हो गया है। P2M (व्यक्ति से व्यापारी) लेनदेन में UPI का हिस्सा 2020-21 में 33 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 69 प्रतिशत हो गया है।

इसलिए, लेखक ने निष्कर्ष निकाला है कि UPI लेनदेन के औसत आकार में कमी, UPI में P2M का बढ़ता हिस्सा और CWP का GDP अनुपात में कमी दर्शाती है कि छोटे-मूल्य वाले लेनदेन के लिए नकद का स्थान UPI ले रहा है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

jyoti choudhary

Related News