Modi@4: जरूरी वस्तुओं के दाम काबू में लेकिन पैट्रोल के दाम बढऩे से राह हुई कठिन

Saturday, May 26, 2018 - 03:16 PM (IST)

नई दिल्लीः मोदी सरकार के पिछले 4 साल के कार्यकाल में आटा, चावल जैसी जरूरी उपभोक्ता वस्तुओं के दाम इनके न्यूनतम समर्थन मूल्य में हुई वृद्धि को देखते हुए ज्यादा नहीं बढ़े। सरकारी उपायों से दाल-दलहन उतार-चढ़ाव के बाद पहले के स्तर पर आ गए, चीनी के दाम 10 प्रतिशत नीचे हैं लेकिन ब्रांडेड तेल, साबुन जैसे रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले विनिर्मित उत्पादों में इस दौरान आठ से 33 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।  

पैट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ी
हालांकि, पिछले कुछ महीने से पैट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढऩे से महंगाई को लेकर सरकार की आगे की राह कठिन नजर आती है। दिल्ली में पैट्रोल 78.01 रुपए और डीजल का दाम 68.94 रुपए के आसपास पहुंच गया है। देश के कुछ राज्यों में पैट्रोल का दाम 80 रुपए लीटर को पार कर चुका है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम तेजी से बढऩे, अमेरिका द्वारा इस्पात और एल्यूमीनियम जैसे उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने और बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों के चलते आने वाले दिनों में महंगाई को लेकर सरकार की राह कठिन हो सकती है।



ब्रांडेड सामान पर लगा GST
मोदी सरकार ने पिछले साल एक जुलाई से देश में माल एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू किया। जीएसटी के तहत खुले रूप में बिकने वाले आटा, चावल, दाल जैसे खाद्यान्नों को कर मुक्त रखा गया जबकि पैकिंग में बिकने वाले ब्रांडेड सामान पर 5 अथवा 12 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया गया। 



एक सामान्य दुकान से की गई खरीदारी के आधार पर तैयार आंकड़ों के मुताबिक मई 2014 के मुकाबले मई 2018 में ब्रांडेड आटे का दाम 25 रुपए किलो से बढ़कर 28.60 रुपए किलो हो गया। खुला आटा भी इसी अनुपात में बढ़कर 22 रुपए पर पहुंच गया। यह वृद्धि 14.40 प्रतिशत की रही। हालांकि, 4 साल में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 19.65 प्रतिशत बढ़कर 1735 रुपए क्विंटल पर पहुंच गया। पिछले 4 साल में चावल की विभिन्न किस्म का भाव 15 से 25 प्रतिशत बढ़ा है जबकि सामान्य किस्म के चावल का एसएसपी इस दौरान 14 प्रतिशत बढ़कर 1550 रुपए क्विंटल रहा है।

खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट
खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट रही लेकिन फल एवं सब्जियों में तेज घट-बढ देखी गई। खाद्य पदार्थों की महंगाई मॉनसून की चाल पर निर्भर रहती है। एनसीएईआर की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 2017-18 में खाद्य महंगाई दो प्रतिशत रही जो कि 2016-17 में 4 प्रतिशत थी। अनाज के दाम मामूली बढ़े जबकि दलहन, मसालों में इस दौरान महंगाई कम हुई। केवल सब्जियों के दाम में तेजी रही। पीएचडी उद्योग मंडल के मुख्य अर्थशास्त्री एस.पी. शर्मा का भी कहना है कि पिछले 4 साल के दौरान सब्जियों के दाम में काफी उतार-चढ़ाव रहा। प्याज, टमाटर जैसी सब्जियों के दाम कभी 10-15 रुपए किलो तो कभी 100 रुपए किलो तक ऊपर पहुंच गए। इस पर नियंत्रण होना चाहिए। 



वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों में भी महंगाई में नरमी के बाद मजबूती का रुख दिखा है। मई 2014 में थोक मुद्रास्फीति 6.01 प्रतिशत और खुदरा महंगाई 8.28 प्रतिशत थी। इसके बाद मई 2017 में थोक मुद्रास्फीति 2.17 और खुदरा मुद्रास्फीति 2.18 प्रतिशत रही। अब अप्रैल 2018 में इसमें वृद्धि का रुख दिखाई दे रहा है और थोक मुद्रास्फीति 3.18 प्रतिशत और खुदरा मुद्रास्फीति 4.58 प्रतिशत पर पहुंच गई।   

राजमर्रा की चीजों के दाम
चीनी का खुदरा दाम 35 रुपए से लेकर 40 रुपए और फिर घटकर 31 रुपए किलो रह गया। धारा रिफाइंड वनस्पति तेल आलोच्य अवधि में 120 रुपए से 8.33 प्रतिशत बढ़कर 130 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया। सरसों तेल की एक लीटर बोतल 10 प्रतिशत बढ़कर 105 रुपए हो गई। ब्रांडेड टाटा नमक की यदि बात की जाए तो चार साल में यह 6.66 प्रतिशत बढ़कर 16 रुपए किलो हो गया। डिटोल साबुन (तीन टिक्की) का पैक आलोच्य अवधि में सबसे ज्यादा 33 प्रतिशत बढ़कर 150 रुपए हो गया। कुछ ब्रांडों के दाम 50 प्रतिशत तक भी बढ़े हैं।



हल्दी, धनिया, मिर्च में ब्रांड के अनुसार भाव ऊंचे नीचे रहे लेकिन इनमें घटबढ़ ज्यादा नहीं रही। धनिया पाउडर का 200 ग्राम पैक इन 4 सालों के दौरान 35 से 40 रुपए के बीच बना रहा। हल्दी पाउडर भी इस दायरे में रहा। देशी घी का दाम जरूर इस दौरान 330 रुपए से बढ़कर 460 रुपए किलो पर पहुंच गया। आम खुदरा मंडी में मई 2018 में आलू 20 रुपए किलो, प्याज 20 रुपए किलो और टमाटर 10 रुपए किलो में बिक रहा है। 

jyoti choudhary

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