2019 में पैट्रोल-डीजल की कीमतों को काबू में रखना मुश्किल, यह है वजह

punjabkesari.in Monday, Jun 25, 2018 - 11:48 AM (IST)

नई दिल्लीः ऑर्गेनाइजेशन ऑफ द पैट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज यानी ओपेक द्वारा क्रूड (कच्चा तेल) सप्लाई बढ़ाने के फैसले के बाद इसकी कीमतों में तेजी आई है। हालांकि एक्सपर्ट का कहना है कि फैसले का असर जल्द दिखेगा और क्रूड सस्ता होने से वर्ष 2018 में पैट्रोल-डीजल की कीमतों में नरमी बनी रहेगी लेकिन उनका यह भी कहना है कि क्रूड की मांग आगे तेजी से बढ़ने की उम्मीद है, जिससे 2019 में पैट्रोल-डीजल की कीमतों को काबू में रखना मुश्किल होगा।

बता दें कि ओपेक द्वारा 10 लाख बैरल प्रति दिन प्रोडक्शन बढ़ाने पर राजी होने के बावजूद शनिवार को क्रूड की कीमतों में 6 प्रतिशत तक की बढ़त दर्ज की गई। ब्रेंट क्रूड 75.55 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। इससे एक बार फिर भारत में पैट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ौतरी की आशंकाएं पैदा हो गई हैं। अगर यह तेजी जारी रहती है तो ऑयल मार्कीटिंग कम्पनियों पर कीमतें बढ़ाने का प्रैशर बढ़ सकता है।

बाजार में असमंजस की स्थिति
एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा का कहना है कि ओपेक देशों द्वारा क्रूड प्रोडक्शन बढ़ाने को लेकर जो फैसला किया गया है, उसे अमल में लाने को लेकर बाजार में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ओपेक देशों के बीच सहमति पर असमंजस की स्थिति दूर नहीं हुई है। क्रूड खरीदने और बेचने वाली कम्पनियों को इस फैसले के लागू होने पर संदेह है, इसलिए फैसले के बाद बाजार की प्रतिक्रिया फैसले के विपरीत देखने को मिली है जिसकी वजह से क्रूड में तेजी दिखी। तनेजा का कहना है कि जैसे-जैसे यह फैसला अमल में आएगा, क्रूड सस्ता होगा। फैसला लागू होने पर इंटरनैशनल मार्कीट में क्रूड की कीमतें घटेंगी, जिससे भारत में क्रूड का इंपोर्ट भी सस्ता होगा। उनका कहना है कि वर्ष 2018 की दूसरी छमाही में डीजल और पैट्रोल की कीमतें कंट्रोल में रह सकती हैं, लेकिन क्रूड की जिस तरह से डिमांड बढ़ रही है, उसे देखकर यह लगता है कि आगे 2019 में कीमतों को काबू में रख पाना मुश्किल होगा।

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प्रोडक्शन में बढ़ौतरी उम्मीद से कम 
एक अमरीकी ऑयल एक्सपर्ट के मुताबिक मार्कीट को ओपेक मीटिंग से बड़ी मात्रा में ऑयल प्रोडक्शन बढ़ने की उम्मीदें थीं। हालांकि फिलहाल ऐसा नहीं होने जा रहा है। एक वक्त हम 18 लाख बी.पी.डी. प्रोडक्शन बढ़ने की उम्मीदें कर रहे थे लेकिन अब 6 लाख बी.पी.डी. की बढ़ौतरी होने जा रही है। ओपेक मीटिंग से मार्कीट में भ्रम की स्थिति बन गई है क्योंकि प्रोड्यूसर्स ने धुंधली-सी तस्वीर पेश की है। अब प्रोडक्शन की स्थिति समझना मुश्किल हो गया है। उम्मीदों की तुलना में प्रोडक्शन खासा कम बढ़ने जा रहा है।

नहीं लौटेगा बहुत सस्ता क्रूड वाला दौर 
तनेजा का कहना है कि क्रूड की कीमतों में शॉर्ट टर्म के लिए कमी आएगी, लेकिन 2015-16 वाली स्थिति अब वापस आना मुश्किल है, जब क्रूड 30 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास पहुंच गया था। बता दें कि भारत में क्रूड की रोजाना खपत 45 लाख बैरल है जिसका 83 प्रतिशत इंपोर्ट किया जाता है। कुल इंपोर्ट के 80 प्रतिशत से ज्यादा ओपेक देशों से होता है।


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Supreet Kaur

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