वॉलिट्स vs यू.पी.आई., कौन कितना फायदेमंद?

punjabkesari.in Monday, May 01, 2017 - 10:12 AM (IST)

जालंधर: नोटबंदी के बाद स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों के लिए डिजीटल वॉलिट्स पेमैंट्स एक तेज और बेहतरीन विकल्प के रूप में पनप रहा हैं। इसमें व्यापारियों को पेमैंट लेने के लिए किसी विशेष उपकरण की जरूरत नहीं पड़ती है। उन्हें अपने फोन में सिर्फ वॉलिट एप इंस्टॉल करना होता है। आज जानते हैं कौन से वॉलिट्स हैं और ये काम कैसे करते हैं।

डिजीटल वॉलिट्स का इस्तेमाल क्यों करें
ऑनलाइन पेमैंट्स को आसान बनाने के लिए डिजीटल वॉलिट्स लाया गया। इसमें इंटरनैट बैंकिंग की तरह पेमैंट पाने वाले का अकाऊंट नंबर, आई.एफ.एस.सी. कोड आदि जानने की जरूरत नहीं पड़ती है। इस तरह किसी एप से कैब बुक करने, खाना ऑर्डर करने या मोबाइल रिचार्ज करने के बाद वॉलिट से तुरंत पे कर सकते हैं। ये प्रीपेड वॉलिट्स नैटबैंकिंग, डैबिट व क्रैडिट कार्ड्स के जरिए पेमैंट करते हैं। हालांकि, वॉलिट में पैसे रख देने से पेमैंट में और आसानी हो जाती है।

2 प्रकार के वॉलिट्स
वॉलिट सर्विस की क्षमता भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से दिए गए लाइसैंस पर निर्भर करती है। इस आधार पर 2 तरह की वॉलिट सर्विसेज होती हैं। क्लोज्ड और सैमी क्लोज्ड। क्लोज्ड वॉलिट से आप पैरंट कंपनी की ओर से मुहैया करवाई गई सेवाओं के लिए ही पेमैंट कर सकते हैं। मसलन, टिकट बुकिंग एप बुकमाइशो में वॉलिट में रखे पैसे को आप आसानी टिकट खरीदने पर खर्च कर सकते हैं। कैब बुकिंग सर्विस ओला भी ओला मनी लाया है। जिसके जरिए आप ओला कैब के साथ-साथ खाने, कॉफी शॉप्स, ट्रैवल, होटल बुकिंग्स आदि के लिए पेमैंट कर सकते हैं। यह सैमी क्लोज्ड वॉलिट है। पेटीएम इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है। पेटीएम के जरिए आप हर तरह का बिल पे कर सकते हैं।

यू.पी.आई. क्या है
यू.पी.आई. यानी यूनिफाइड पेमैंट्स इंटरफेस का डिजीटल वॉलिट्स से कोई लेना-देना नहीं है। यू.पी.आई. नैटबैंकिंग को आसान बनाने के लिए लाया गया है। यह आई.एम.पी.एस. से ऊपर का स्तर है जो एक अकाऊंट से दूसरे अकाऊंट में पैसे ट्रांसफर करता है। यह एक मेल भेजने जैसा अनुभव देता है। आप अपनी आई.डी. यानी वी.पी.ए. (यूनिक प्राइवेट एड्रैस) बना सकते हैं और किसी भी अकाऊंट से पैसे का लेन-देन कर सकते हैं। इसमें पैसे सीधे एक बैंक अकाऊंट से दूसरे बैंक अकाऊंट में आते-जाते हैं।

वॉलिट और यू.पी.आई. में अंतर: संचालन
डिजीटल वॉलिट में पैसे का आदान-प्रदान तीसरे पक्ष के जरिए होता है। इसमें या तो आप वॉलिट में पैसे डालकर रखते हैं या जब पे करते हैं तो पैसे पहले वॉलिट में जाते हैं और फिर उसे मिलते हैं जिसे आप पे करते हैं। लेकिन यू.पी.आई. में 2 अकाऊंट्स के बीच सीधा आदान-प्रदान होता है इसलिए इसमें कोई तीसरा पक्ष नहीं होता। इसमें आपको पैसे कहीं अपलोड नहीं करने पड़ते। साथ ही यू.पी.आई. किसी खास बैंकिंग सिस्टम से नहीं जुड़ा है इसलिए आप किसी भी यू.पी.आई. सक्षम बैंक से पैसे भेज और मंगवा सकते हैं। मसलन फ्लिपकार्ट का फोनपे यस बैंक से जुड़ा है, ट्रूकॉलर ने हाल ही में आई.सी.आई.सी.आई. बैंक से गठजोड़ किया है और व्हाट्सएप के बारे में भी कहा जा रहा है कि वह यू.पी.आई. आधारित पेमैंट सर्विस देगा।


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