सरकारी मौसम विभाग और निजी एजेंसी स्काईमेट के पूर्वानुमान में अंतर
punjabkesari.in Tuesday, Aug 07, 2018 - 01:59 PM (IST)
नई दिल्लीः दक्षिण-पश्चिम मॉनसून को लेकर पिछले सप्ताह देश में दो अलग-अलग अनुमान सामने आए। एक अनुमान के मुताबिक इस सत्र में आगे मॉनसून सामान्य से कम रहेगा जबकि दूसरे अनुमान के मुताबिक इसके बेहतर रहने की उम्मीद है। मौसम के पूर्वानुमान के लिए सरकारी एजेंसी भारतीय मौसम विभाग और निजी एजेंसी स्काईमेट ने इस सत्र के बाकी बचे समय के लिए दो अलग-अलग अनुमान लगाए हैं। स्काईमेट का कहना है कि लंबे समय से कम बारिश की वजह से अगस्त-सितंबर में मॉनसून सामान्य से कम रहेगा। वहीं भारतीय मौसम विभाग का कहना है कि अगस्त-सितंबर के लिए सामान्य की परिभाषा में मामूली अंतर है और यह बारिश की दीर्घ अवधि के औसत (एलपीए) का 94-106 प्रतिशत है। हालांकि स्काईमेट ने इस पर सवाल उठाए हैं।
भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक केजी रमेश इसका बचाव करते हुए कहते हैं, ‘बिल्कुल, इसमें कुछ भी गलत नहीं है।’ रमेश कहते हैं, ‘अप्रैल में भारतीय मौसम विभाग ने जून-सितंबर के लिए मौसम का जो अनुमान लगाया था, उसमें गलतियों का औसत निकाला जाए तो यह पांच प्रतिशत के करीब है। जबकि अगस्त-सितंबर के दो माह के समय के लिए यह आठ प्रतिशत है। वास्तविक परिस्थितियां अलग हैं और इसलिए यह त्रुटि आ रही है।’ वह कहते हैं कि मौसम विभाग कई सालों से यह तरीका अपना रहा है।
अगस्त माह के लिए स्काईमेट का अनुमान है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून एलपीए का लगभग 88 प्रतिशत रहेगा जिसमें बारिश के कम रहने की 70 प्रतिशत संभावना है। सितंबर माह के लिए स्काईमेट का अनुमान है कि मॉनसून सामान्य से कम रहेगा और एलपीए के 93 प्रतिशत के करीब होगा। स्काईमेट के सीईओ जतिन सिंह कहते हैं, ‘पूरे सीजन में मॉनसून अभी तक अनुमान से नौ प्रतिशत कम रहा है। इसके समाप्त होने में अब केवल 50-55 दिन बचे हैं और इतने समय में यह अनुमानित स्थिति तक कैसे पहुंचेगा? जबकि एक लंबे-सूखे सत्र का अनुमान है और हमारे मॉडल के हिसाब से ऐसा जरूर होगा।’
अगस्त और सितंबर में मॉनसून के कमजोर रहने के कारण स्काईमेट ने इस सीजन के लिए मॉनसून का अनुमान सामान्य से घटाकर ‘सामान्य से कम’ कर दिया है। हालांकि मौसम विभाग अब भी अपने पहले के अनुमान ‘सामान्य’ पर बना हुआ है। रमेश कहते हैं, ‘जुलाई के अंत तक अल नीनो 0.3 पर था जो हानिकारक नहीं है क्योंकि हिंद महासागरीय द्वि-ध्रुवीय स्थिति सकारात्मक है। समुद्री नैनो इंडेक्स भी अभी तक नकारात्मक बना हुआ है। इस सबसे हमें भरोसा है कि अगले दो महीनों में मॉनसून न केवल सामान्य रहेगा, बल्कि इसका विस्तार भी अच्छा रहेगा, जिससे खरीफ फसल को लाभ होगा।’ पिछले वर्ष भी मॉनसून सत्र की बेहतर शुरुआत के बाद अंतिम दो महीनों में बारिश काफी कम रही थी। हालांकि 2018 के लिए अभी यह देखना बाकी है कि मॉनसून कैसा रहेगा।