सस्ते बिस्कुटों को GST से बाहर रखने की मांग

Tuesday, Mar 07, 2017 - 05:46 PM (IST)

नई दिल्लीः बिस्कुट निर्माता कंपनियों के शीर्ष संगठन बिस्कुट मैन्युफैक्चरर्स वेलफेयर एसोसियेशन (बीएमए) ने मिल्क बिस्कुट, मारी और ग्लूकोज जैसे भरपूर कैलोरी और पोषक तत्त्वों वाले किफायती बिस्कुटों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से बाहर रखने की मांग की है। बीएमए के अध्यक्ष हरेश दोशी और उपाध्यक्ष मयंक शाह ने आज संवाददाताओं से चर्चा में सरकार से यह मांग करते हुए कहा कि 100 रुपए प्रति किलोग्राम तक के बिस्कुट को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए क्योंकि समाज के गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को अधिक केैलोरी और पोषक तत्त्व उपलब्ध कराने वाला इससे सस्ता कोई खाद्य पदार्थ नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे होने वाले नुकसान की भरपाई महंगे बिस्कुटों पर अधिक कर लगाकर की जा सकती है।

शाह ने कहा कि देश में करीब 12 लाख टन ग्लूकोज बिस्कुट की बिक्री हो रही है। लागत बढऩे के बावजूद कंपनियों ने इन बिस्कुटों के दाम नहीं बढ़ाए हैं। यह पूछे जाने पर कि जीएसटी से बाहर नहीं रखे जाने पर क्या कंपनियों द्वारा इनकी कीमतों में बढौतरी की जाएगी, पार्ले बिस्कुट्स प्राइवेट लिमिटेड के शाह ने कहा कि निर्माता सभंवत: पैकेट का वजन कम कर परोक्ष रूप से कीमत बढ़ा देंगे। उन्होंने कहा कि ग्लूकोका और मिल्क बिस्कुट आमतौर पर एक सौ रुपए किलो से कम दामों पर बेचे जाते हैं एवं लोकप्रिय खाद्य पदार्थाें की श्रेणी में आते हैं। 

केंद्र सरकार ने वर्ष 2007-08 में इन्हें उत्पाद शुल्क से पूरी तरह मुक्त कर दिया था। अभी इस पर सिर्फ 12.5 प्रतिशत वैट लग रहा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के लिए बिस्कुट का वर्गीकरण किया जाना चाहिए और सस्ते बिस्कुट को इससे बाहर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में सात सौ रुपए प्रति किलोग्राम तक के बिस्कुट हैं और महंगे बिस्कुट पर अधिक कर लगाकर सस्ते बिस्कुट पर होने पर राजस्व नुकसान की भरपाई की व्यवस्था की जानी चाहिए। 

Advertising