20 प्रतिशत तक बढ़ी लखनवी चिकन गारमैंट्स की डिमांड, मैन्युफैक्चरिंग घटने से कीमतों में इजाफा
Tuesday, May 01, 2018 - 09:12 AM (IST)
नई दिल्लीः गर्मियों का सीजन धीरे-धीरे पीक पर पहुंच रहा है। इसी के साथ ही लखनऊ के दुनियाभर में मशहूर चिकन गारमैंट्स के बिजनैस में भी तेजी आ रही है। मैन्युफैक्चरर्स का कहना है कि इस साल लखनवी चिकन गारमैंट्स की डिमांड में पिछले साल के मुकाबले 20 प्रतिशत तक की तेजी दिख रही है। हालांकि डिमांड के हिसाब से कारोबारी प्रोडक्ट की सप्लाई नहीं कर पा रहे हैं। कुछ कारोबारियों का कहना है कि इसकी एक वजह जी.एस.टी. के प्रोसिजर्स के चलते मैन्युफैक्चरिंग में आई कमी है।
लखनऊ चिकन हाऊस के ऑनर मनन शर्मा ने बताया कि लखनवी चिकन गारमैंट की डिमांड में इस साल पिछले साल के मुकाबले 15-20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। हालांकि सप्लाई की रफ्तार थोड़ी धीमी है लेकिन बिजनैस अच्छा जाने की उम्मीद है।
लगभग 400-500 करोड़ रुपए की इंडस्ट्री
पूरे लखनऊ में चिकनकारी का बिजनैस कितना बड़ा है इसका कोई तय आंकड़ा तो नहीं है लेकिन कारोबारियों को अंदाजा है कि यह बिजनैस लगभग 400-500 करोड़ रुपए का तो होगा ही। यहां इस तरह के गारमैंट्स के मैन्युफैक्चरर्स की संख्या लगभग 1500 से 2000 है। इनमें से कइयों का सालाना कारोबार 1.5 से 2 करोड़ के बीच है।
मैन्युफैक्चरिंग कम होने से 150 रुपए तक बढ़ गई है कीमत
लखनऊ के हैरीटेज चिकन में सेल्स मैनेजर प्रियम वाजपेयी ने बताया कि जी.एस.टी. के तहत छोटी-छोटी चीजों के रिकॉर्ड मैनटेन करने पड़ रहे हैं जिसके चलते मैन्युफैक्चरिंग प्रभावित हो रही है। डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं हो पा रही है जिसके चलते रेट बढ़ रहे हैं। प्रोडक्ट 100 से 150 रुपए तक महंगा हो रहा है। हालांकि धीरे-धीरे हालात में सुधार आ रहा है।
यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अमरीका आदि देशों में हो रहा एक्सपोर्ट
लखनवी चिकन गारमैंट्स की डिमांड केवल भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी है। यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अमरीका, कनाडा आदि देशों में इसका एक्सपोर्ट होता है। टोटल प्रोडक्शन का लगभग 10-15 प्रतिशत एक्सपोर्ट हो जाता है। एक्सपोर्ट होने वाले प्रोडक्ट की क्वालिटी और उसका वर्क बहुत ही अलग और बारीक होता है। बाहर जाने वाले चिकन गारमैंट्स का कपड़ा मलमल होता है। मनन का यह भी कहना है कि उसकी कीमत भी बहुत ज्यादा होती है। भारत में ज्यादातर कॉटन या जॉर्जेट पसंद किया जाता है लेकिन बाहर के देशों में इसके अलावा भी अन्य तरह के फैब्रिक्स के बने चिकन गारमैंट्स की काफी डिमांड है। एक्सपोर्ट होने वाले प्रोडक्ट्स में प्योर चिकन कारीगरी के साथ फ्यूजन भी शामिल होता है।
जनवरी-फरवरी में ही आ जाते हैं ऑर्डर
लखनवी चिकन घर के ऑनर विनोद खन्ना ने बताया कि चिकन के गारमैंट्स के लिए होलसेलर्स के पास ऑर्डर्स जनवरी-फरवरी में ही आ जाते हैं। गारमैंट्स और प्रोडक्ट तैयार करने के लिए पहले कपड़े पर डिजाइन की छपाई नील से होती है। रैडीमेड गारमैंट के मामले में पहले कपड़े से प्रोडक्ट जैसे कुर्ती, साड़ी बना लिए जाते हैं, उसके बाद उस पर डिजाइन छापे जाते हैं। फिर उसे चिकन की कढ़ाई के लिए दिया जाता है। कढ़ाई का काम लखनऊ में घर-घर में होता है। चिकन की कढ़ाई केवल हाथ से की जाती है।