आर्थिक गतिविधियों में कमी, घाटे वाली विदेशी शाखाएं होंगी बंद

punjabkesari.in Thursday, Nov 23, 2017 - 01:07 PM (IST)

नई दिल्लीः सरकार ने सरकारी बैंकों की सेहत सुधारने के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपए की पूंजी लगाने की घोषणा की थी जिसके बाद अब बैंकों ने विदेशी कारोबार को भी बेहतर बनाने पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। पूंजी की कमी के संकट से जूझ रहे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अपने अंतर्राष्ट्रीय कारोबार की समीक्षा कर रहे हैं ताकि वे उन्हें तार्किक बनाने के साथ ही कुछ शाखाओं को बंद कर सकें।

वैश्विक स्तर पर आर्थिक गतिविधियों में कमी आई है क्योंकि विदेश में अपनी शाखाएं संचालित करने वाले बैंकों की बैलेंसशीट वर्ष 2016-17 के दौरान काफी कम हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के मुताबिक विदेश में बैंक शाखाओं की कुल परिसंपत्ति वर्ष 2015-16 के 231 अरब डॉलर से कम होकर वर्ष 2016-17 में 224 अरब डॉलर हो गई। कम ब्याज आमदनी और खर्च में बढ़ोतरी की वजह से वर्ष 2016-17 के दौरान भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं ने घाटा दर्ज किया। वर्ष 2016-17 में आमदनी में 4.6 फीसदी की कमी आई और यह 43,611 करोड़ रुपए हो गया जो वर्ष 2015-16 में 45,730 करोड़ रुपए था। खर्च में करीब 8 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई और यह वर्ष 2015-16 के 41,940 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2016-17 में 45,300 करोड़ रुपए तक हो गई। कमाई में ब्याज आमदनी की प्रमुख हिस्सेदारी होती है।

भारतीय बैंकों की विदेश में मौजूद शाखाओं की आमदनी में बड़ी हिस्सेदारी ऋण संबंधी सेवाओं, व्यापार वित्त सेवाएं, डेरिवेटिव, शेयर, और विदेशी मुद्रा विनिमय कारोबार सेवाओं की है। भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं की तादाद में बढ़ोतरी हुई है लेकिन उनके कर्मचारियों की तादाद में कमी आई है। लागत में कटौती करने और क्षमता में सुधार करने का दबाव बढ़ा है ताकि विदेशी शाखाओं का संचालन तार्किक हो सके। 


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