सरकारी बैंकों को करोड़ों का घाटा, सरकार से मिली आधी पूंजी डुबा दी

Thursday, May 17, 2018 - 11:40 AM (IST)

नई दिल्लीः देश के सरकारी बैंकों की बैड लोन की समस्या का हाल पहले जैसा ही है और इसमें कोई सुधार नजर नहीं आ रहा। जिन सरकारी बैंकों ने मार्च में खत्म वित्त वर्ष के परिणामों का एलान किया है, उनमें नौ को 43,026 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। बता दें कि बैंकिंग व्यवस्था की सेहत सुधारने के लिए भारत सरकार ने रीकैपिटलाइजेशन प्लान को मंजूरी दी थी जिसके तहत बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपए की पूंजी डालने का प्रस्ताव था।

सरकार को देनी पड़ेगी और ज्यादा पूंजी
बैंकों के परिणामों ओर नजर दौड़ाई जाए तो सरकार को मौजूदा वित्त वर्ष में इन्हें पहले से तय रकम से ज्यादा पूंजी देनी पड़ सकती है। बहुत से सरकारी बैंकों के परिणाम अभी आना बाकी है, लेकिन अब तक जिन 11 बैंकों के परिणाम आए हैं उनमें से नौ के खिलाफ पहले से प्रॉम्प्ट करेक्टिव ऐक्शन (पीसीए) शुरू हो चुका है। बैंकिंग रेग्युलेटर की तरफ से पीसीए शुरू किए जाने से बैंक के नए ब्रांच खोलने, स्टाफ हायर करने और ज्यादा रिस्क वाले बॉरोअर्स को लोन बांटने पर पाबंदी लग जाती है।

सरकार ने दिए थे 80 हजार करोड़
आईडीबीआई, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक और यूनाइटेड बैंक जैसे बैंकों को सरकार ने रेशनलाइजेशन बॉन्ड्स के जरिए पिछले वित्त वर्ष के अंतिम महीनों में 80,000 करोड़ रुपए दी थी। इस रीकैपिटलाइजेशन प्रोग्राम को बीते एक तिमाही भी नहीं हुई कि पब्लिक सेक्टर बैंकों में पूंजी लगाने को लेकर सरकारी प्रतिबद्धता पर दबाव बढ़ गया। सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में पब्लिक सेक्टर बैंकों में जितनी रकम लगाई थी, उसके आधे का घाटा तो नौ बैंकों को ही हो गया। पब्लिक सेक्टर बैंकों को 2017-18 में होने वाला लॉस रीकैपिटलाइजेशन प्लान पर सरकार के सारे किए कराए पर पानी फेर देगा। सरकार से इन बैंकों को मिली पूंजी का 75 से 80 फीसदी हिस्सा घाटे की भेंट चढ़ सकता है। 

 

Supreet Kaur

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