प्रॉपर्टी में घटेगी निवेश मांग

Monday, Feb 06, 2017 - 01:13 PM (IST)

मुंबईः बजट में दो ऐसे प्रस्ताव किए गए हैं, जिससे आवासीय प्रॉपर्टी में निवेशकों की मांग कम हो सकती है। हालांकि नोटबंदी के बाद प्रॉपर्टी में मांग वैसे ही काफी घट गई है। बजट में दूसरे मकान की खरीद पर आय में नुकसान (कर्ज पर चुकाया गया ब्याज) की कटौती की सीमा सालाना 2 लाख रुपए तक सीमित करने का प्रस्ताव किया गया है जबकि अभी इस तरह की कोई सीमा नहीं है। 

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के समर सारदा, निश्चिंत चवाथे और अभिजित सखारे ने 2 फरवरी की अपनी रिपोर्ट में कहा, 'जब तक प्रॉपर्टी की कीमतों में फिर से तेजी आनी शुरू नहीं होती है तब तक इस कदम से वेतनभोगियों के प्रोत्साहन में कमी आएगी जबकि दूसरे मकान पर निवेश से उन्हें कर की बचत होती थी। हमारा मानना है कि इससे मांग पर असर पड़ेगा खासकर शीर्ष 7 महानगरों में जहां मांग पहले से ही कमजोर है।' इसके अलावा कर्ज का समय पूर्व भुगतान भी किया जा सकता है, जिससे आवास वित्त कंपनियों पर दबाव बढ़ सकता है।

जेएम फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशन सिक्योरिटीज के विश्लेषक अभिषेक आनंद ने कहा कि इस कदम से वित्तपोषण की लागत 30 फीसदी तक बढ़ सकती है और पहले साल में निवेशकों का रिटर्न 3 से 5 फीसदी तक सीमित हो सकता है। इसके अलावा प्रॉपर्टी को पहले 3 साल बाद बेचने पर दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर देना होता था जिसे अब घटाकर दो साल कर दिया गया है। 

जेएम फाइनैंशियल के आनंद का कहना है, 'इन प्रावधानों से प्रॉपर्टी में निवेश मांग कम होगी और द्वितीयक बाजार में आपूर्ति बढ़ेगी।' विश्लेषकों के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और मुंबई महानगरपालिका क्षेत्र में निवेश मांग पहले से ही कम है और इन प्रावधानों से उस पर और प्रतिकूल असर पड़ेगा। हालांकि बजट में किफायती मकानों को बढ़ावा देने के लिए इसे बुनियादी ढांचा का दर्जा दिया गया है। इससे डेवलपरों को कम लागत पर ज्यादा कोष उपलब्ध होगा और खरीदारों के लिए कीमतें भी घटेंगी। इसके साथ ही ब्याज दरों में नरमी से भी किफायती मकानों की मांग बढऩे की उम्मीद है।

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