उज्ज्वला योजनाः कनेक्शन की तुलना में बेहद कम सिलेंडर हो रहे रिफिल

Wednesday, Jul 17, 2019 - 01:43 PM (IST)

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना मोदी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी और कारगर योजना मानी जाती है।सरकार ने ग्रामीण इलाकों में प्रदूषण से बचाने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) कनेक्शन बांटे थे, लेकिन हालिया एक रिसर्च में पता चला है कि इस योजना से प्रदूषण घटाने का लक्ष्य हासिल करना काफी मुश्किल लग रहा है।

2016 में शुरु हुई थी योजना
खबरों के अनुसार, रिसर्च में पता चला है कि जिन लोगों को उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन मिले हैं, उनमें से बहुत कम लोग ही सिलेंडर दोबारा से भरवाते हैं और आमतौर पर सिलेंडर खत्म होने के बाद फिर से चूल्हे का रुख कर लेते हैं। बता दें कि मई, 2016 में मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना की शुरुआत की थी। राष्ट्रीय स्तर पर शुरू की गई इस योजना के तहत सरकार ने साफ ईंधन को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय मदद, सब्सिडी और लोन के जरिए लोगों को स्टोव और एलपीजी सिलेंडर दिए गए थे। आंकड़ों के अनुसार, 7 करोड़ गरीब परिवारों को उज्जवला योजना के तहत बीते तीन सालों में स्टोव और सिलेंडर मिले हैं।

प्रदूषण और बीमारियों से बचना मुश्किल
पर्यावरण और ऊर्जा पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों की एक टीम ने अपनी रिसर्च में बताया है कि सामान्य तौर पर 1000 में से 400 एलपीजी सिलेंडर मासिक तौर पर रिफिल कराए जाते हैं। जबकि उज्जवला योजना के तहत वितरित किए गए एलपीजी सिलेंडर्स में एक माह में 1000 में से सिर्फ 100 सिलेंडर ही रिफिल कराए जाते हैं। इन आंकड़ों के आधार पर रिसर्च करने वाली टीम का आकलन है कि इस तरह से सरकार के प्रदूषण घटाने और महिलाओं को सांस संबंधी बीमारियों से बचाने का लक्ष्य हासिल करना बेहद मुश्किल काम है।

Supreet Kaur

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