RBI: प्राइवेट बैंकों में करप्शन के मामलों की जांच कर सकेगा CVC

Tuesday, Jun 27, 2017 - 10:09 AM (IST)

नई दिल्लीः सेंट्रल विजिलैंस कमीशन (सी.वी.सी.) अब प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में और उनके कर्मचारियों के खिलाफ करप्शन के आरोपों की जांच कर सकता है। विजिलैंस कमिशनर टी एम भसीन ने बताया कि आर.बी.आई. ने इस संबंध में मंजूरी दे दी है।

यह कदम सुप्रीम कोर्ट के बीते साल के उस फैसले के क्रम में आया है, जिसमें कहा गया था कि मामला प्रिवेंशन ऑफ करप्शन (पीसी) एक्ट, 1988 के अंतर्गत आए तो एक प्राइवेट बैंक के चेयरमैन, मैनेजिंग डायरेक्टर और अन्य अधिकारियों को भी पब्लिक सर्वैंट्स के तौर पर देखा जा सकता है। एंटी करप्शन वाचडॉग एक संवैधानिक संस्था है, जो केंद्र सरकार के विभागों, पब्लिक सेक्टर के संगठनों (बैंकों और बीमा कंपनियों सहित) और उनके कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की की जांच करता है।

नए आदेश से बैंकों को लगेगा 50,000 करोड़ का झटका
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शुक्रवार की रात को बैंकों को चौंका दिया। जिन मामलों को बैंकरप्सी कोर्ट में ले जाया जा रहा है, उसके लिए आर.बी.आई. ने प्रोविजनिंग में भारी बढ़ौतरी की है। इससे वित्त वर्ष 2018 में बैंकों के मुनाफे में 50,000 करोड़ रुपए का झटका लग सकता है। आर.बी.आई. के आदेश से वाकिफ  2 बैंकरों ने यह बात कही है। आर.बी.आई. ने बैंकों से लोन की रकम की कम से कम 50 पर्सैंट प्रोविजनिंग का निर्देश दिया है। बैंकरप्सी कोर्ट वाले मामलों में बैंकों को नुक्सान की आशंका को देखते हुए उसने यह कदम उठाया है। आर.बी.आई. ने यह भी कहा है कि लोन रीस्ट्रक्चरिंग की समय सीमा में जिन मामलों का हल नहीं निकलता, उनके लिए प्रोविजनिंग लोन के बराबर होनी चाहिए क्योंकि इसमें बैंकों को कम्पनी की संपत्ति बेचने पर मजबूर होना पड़ेगा। बैंक ऐसे मामलों में ढीले प्रोविजनिंग नॉम्र्स की उम्मीद कर रहे थे, इसलिए उन्हें आर.बी.आई. के इस आदेश से झटका लगा है। इससे पहले रिजर्व बैंक ने 12 मैगा डिफॉल्टर्स को बैंकरप्सी कोर्ट में ले जाने का आदेश बैंकों को दिया था।
 

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