कच्चे तेल की आंच से झुलसा सिंथैटिक कपड़ा

punjabkesari.in Friday, Nov 10, 2017 - 10:51 AM (IST)

मुम्बई : कच्चे तेल के दामों में तेज बढ़ौतरी की वजह से सिंथैटिक कपड़ा विनिर्माताओं के लिए कच्चा माल पिछले महीने 2 से 5 प्रतिशत तक महंगा हो गया है। यानी कि कच्चे तेल की आंच अब सिंथैटिक कपड़े को भी झुलसाने लगी है। हाजिर डिलीवरी में ब्रेंट क्रूड के दाम एक महीने के दौरान 15.2 प्रतिशत बढ़कर 64.12 डॉलर प्रति बैरल हो गए हैं। सऊदी अरब की घटना और अमरीका-उत्तर कोरिया के भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि के बाद दामों में तेजी आई है। प्यूरिफाइड टेरेफ्थैलिक एसिड (पी.टी.ए.) कच्चे तेल का एक यौगिक होता है और पॉलिएस्टर फाइबर में काम आता है। मंगलवार को इसके दाम 692 डॉलर प्रति टन थे। इस तरह अकेले नवम्बर में ही इसमें 4.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ। नवम्बर में एम.ई.जी. (मोनो एथिलीन ग्लाइकॉल) 2.8 प्रतिशत तक महंगा होकर मंगलवार को 928 डॉलर प्रति टन हो गया। इसी तरह अन्य कच्चा माल भी महंगा हो गया है।

2 महीनों में 10 प्रतिशत तक बढ़ी पॉलिएस्टर रेशे की कीमत
भारत में रंगीन धागे की सबसे बड़ी विनिर्माता सतलज टैक्सटाइल्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष एस.के. खंडेलिया ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण पॉलिएस्टर रेशे की कीमत पिछले 2 महीनों में 10 प्रतिशत तक बढ़ी है। पी.ई.टी. (पॉलिथिलीन टैरेफथैलेट) की बोतलों से उत्पादित रिसाइकल्ड पॉलिएस्टर रेशे के सबसे बड़े उत्पादक चीन ने ऐसी बोतलों की खरीद बंद कर दी है जिसके फलस्वरूप उनके रेशे विनिर्माण संयंत्रों के लिए कच्चे माल में कमी आई है। इस कारण रिसाइकल्ड पॉलिएस्टर रेशे के दाम बढ़ गए हैं। प्लास्टिक की कम्पनियों पर भी इसका असर पड़ा है।

कच्चे माल की कीमतों में 2 से 5 प्रतिशत तक की बढ़ौतरी 
देश की सबसे बड़ी पॉलिएस्टर विनिर्माता इंडो रामा सिंथैटिक्स को सितम्बर तिमाही में 17.7 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ जबकि पिछले साल की समान तिमाही में इसे 14.7 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। इंडो रामा के अध्यक्ष ओ.पी. लोहिया ने कहा कि कुछ उत्पादों पर जी.एस.टी. (वस्तु एवं सेवा कर) की दर 18 प्रतिशत से कम करके 12 प्रतिशत कर दी गई जिससे हमें राहत मिली। कच्चे तेल के बढ़ते दामों के कारण कच्चे माल की कीमतों में 2 से 5 प्रतिशत तक की बढ़ौतरी हुई है। हमें अल्पावधि में कच्चे माल की कीमतों में और वृद्धि होने की संभावना लग रही है लेकिन पॉलिएस्टर उत्पादों की बढ़ती मांग की वजह से हम कच्चे माल की कीमतों के इस इजाफे को उपभोक्ताओं पर डाल सकते थे।


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