90 डॉलर के पार पहुंचा कच्चा तेल, सऊदी अरब और रूस में उत्पादन कटौती से 10 महीने की ऊंचाई पर भाव
Wednesday, Sep 06, 2023 - 11:02 AM (IST)
बिजनेस डेस्कः सऊदी अरब ने दिसंबर तक क्रूड ऑयल प्रोडक्शन में कटौती का एलान किया है। सऊदी अरब का कहना है वह क्रूड ऑयल प्रोडक्शन में 10 लाख bpd की कटौती कर रहा है जबकि रूस ने दिसंबर तक क्रूड ऑयल आउटपुट में 3 लाख bpd की कटौती की है। सऊदी अरब और रूस द्वारा अपनी वॉलंटरी सप्लाई कटौती की घोषणा के बाद मंगलवार को तेल की कीमतों में लगभग 2 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई। ब्रेंट क्रूड की कीमते 90 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई है, जो 10 महीने का सबसे उच्चतम स्तर है।
आधिकारिक सऊदी प्रेस एजेंसी द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) के प्रमुख दिसंबर तक प्रति दिन 1 मिलियन बैरल (बीपीडी) की कटौती जारी रखेंगे। रिपोर्ट के अनुसार उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक की एक अलग घोषणा में कहा गया है कि रूस की 300,000 बीपीडी निर्यात कटौती उसी समय सीमा के लिए प्रभावी रहेगी।
कीमतों में गिरावट को सुधारने के लिए कटौती
यह कदम ऐसे वक्त उठाया गया है जब क्रूड ऑयल की कीमतों में गिरावट को सुधारने के प्रयास में देश अपने उत्पादन में एकतरफा कटौती कर रहा है। निवेशकों को उम्मीद थी कि सऊदी अरब और रूस स्वैच्छिक कटौती को अक्टूबर तक बढ़ा देंगे लेकिन तीन महीने का विस्तार अप्रत्याशित था।
अक्टूबर के अंत से ब्रेंट की कीमत ज्यादातर $75 और $85 प्रति बैरल के बीच सीमित रही है। ब्रोकरेज हाउस जियोजित के अनुसार इस साल की शुरुआत में क्रूड की कीमतें मासिक ऊंचाई के करीब रुक गई थीं, क्योंकि चीन में महामारी के बाद रिकवरी को लेकर निराशा के कारण कीमतों पर दबाव था।
भारत की प्लानिंग हो सकती है फेल
रूस और सऊदी अरब के इस फैसले से भारत सरकार को बड़ा झटका लग सकता है। इसका कारण है कच्चे तेल की कीमत में इजाफे के बीच पेट्रोल और डीजल की कीमतों को कम करने की चुनौती। आने वाले महीनों में देश के पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। महंगाई को कम करने के लिए सरकार ने एलपीजी के दाम में 200 रुपए कम किए हैं। तब से इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही पेट्रोल और डीजल की कीमत को भी कम किया जाएगा। खुद इस बात के संकेत केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी दिए हैं। ऐसे में कच्चे तेल की कीमतें 95 डॉलर के पार चली जाती हैं तो भारत सरकार और पेट्रोलियम कंपनियों के सामने बड़ी चुनौती हो सकती है।