बढ़ती कोयला कीमत और रुपए में गिरावट से विद्युत उत्पादन कम्पनियों पर संकट

Saturday, Jul 21, 2018 - 11:47 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः आयातित कोयला कीमतें 6 वर्ष की ऊंचाई पर पहुंचने और डॉलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी की वजह से विद्युत उत्पादन कम्पनियों को संकट का सामना करना पड़ रहा है। एस्सार समूह अपनी 1200 मैगावाट की विद्युत परियोजनाओं को बंद कर रहा है और अडानी समूह मूंदड़ा में अपनी कुल क्षमता का महज एक हिस्सा ही इस्तेमाल कर पा रहा है। कम्पनियों के अधिकारियों का कहना है कि अब उम्मीद सिर्फ गुजरात सरकार द्वारा बनाई गई उच्च पदस्थ समिति पर टिकी है। समिति यह तय करेगी कि विद्युत परियोजनाओं को व्यवहार्य बनाने के लिए बैंकों, राज्य विद्युत बोर्डों और प्रवर्तकों समेत सभी हितधारकों द्वारा कितनी रियायत दी जा सकती है।

मौजूदा समय में दोहरा दबाव
मौजूदा समय में दोहरा दबाव पैदा हुआ है। जहां ताप कोयले की कीमतें 110-120 डॉलर प्रति टन की ऊंचाई पर पहुंची हैं, वहीं भारतीय मुद्रा भी डॉलर के मुकाबले गिर गई। भारतीय विद्युत उत्पादक कम्पनियों के लिए आयातित कोयले की लागत जून तिमाही में 7 वर्ष के ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जी.यू.वी.एन.एल.) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘अडानी पावर अपने संयंत्र से विद्युत खरीद समझौते (पी.पी.ए.) के तहत हरियाणा को आपूर्ति कर रही है और हमें निर्धारित बिजली का सिर्फ आधा हिस्सा ही मिल रहा है। सिर्फ टाटा पावर ने ही अब गुजरात के लिए जरूरी 1,805 मैगावाट की आपूर्ति की है। हमने स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों (आई.पी.पी.) को आपूर्ति बहाल करने और पी.पी.ए. प्रतिबद्धताएं पूरी करने के लिए पत्र लिखा है।’’

एस्सार के अधिकारी ने माना कि संयंत्र बंद है
एस्सार के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि की कि उनका संयंत्र जून तिमाही में बंद रहा। टाटा पावर के एक अधिकारी ने कहा कि मौजूदा समय में उसके मूंदड़ा संयंत्र की 4 इकाइयां परिचालन में हैं और एक इकाई में मुरम्मत का काम चल रहा है। अडानी पावर को इस संबंध में भेजे गए ई-मेल संदेश का कोई जवाब नहीं मिला है। इन विद्युत उत्पादकों द्वारा विद्युत कीमतें बढ़ाने के लिए दाखिल की गई याचिका को अप्रैल 2017 में सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था।

समिति तलाशेगी समाधान 
इस महीने के शुरू में गुजरात सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आर.के. अग्रवाल के नेतृत्व में एक समिति बनाई है। यह समिति दबाव से जूझ रहे इन संयंत्रों के लिए समाधान तलाशेगी। आर.बी.आई. के पूर्व डिप्टी गवर्नर एस.एस. मूंदड़ा और सी.ई.आर.सी. के पूर्व चेयरमैन प्रमोद देव भी इस समिति के सदस्य हैं। समिति से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि विद्युत संयंत्र मालिकों और बैंकरों की दिक्कतें कम करने के लिए बैंक, परियोजना डिवैल्पर और विद्युत खरीदार कितनी रियायत देने को तैयार हैं। 

Supreet Kaur

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