RBI गवर्नर ने क्रेडिट रेटिंग्स एजेंसियों के प्रति जाहिर की चिंता

Friday, Mar 08, 2019 - 06:48 PM (IST)

नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की कड़ी आलोचना की है। विभिन्न कंपनियों खासकर IL&FS मामले में वित्तीय गड़बड़ियों को पहचानने में असफल होने पर आरबीआई ने क्रेडिट रेटिंग कंपनियों को खरी-खोंटी सुनाई है। गुरुवार को शीर्ष क्रेडिट रेटिंग्स अधिकारियों के साथ बातचीत में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास और डेप्युटी गवर्नरों ने रेटिंग एजेंसियों के प्रति चिंता जाहिर की। यह चिंता इन कंपनियों द्वारा क्रेडिट रिस्क का अनुमान न लगा पाने और समय पर रेटिंग कार्रवाई न करने को लेकर थी। 

निवेशकों और बैंकों को लगा झटका
सूत्र ने बताया, 'आरबीआई ने कहा कि रेटिंग्स को लेकर माना जाता है कि ये हमेशा दूरदर्शी होनी चाहिए लेकिन ये हमेशा ही सुस्त रही हैं।' केंद्रीय बैंक ने क्रेडिट रेटिंग अधिकारियों से कहा है कि पिछले कुछ महीनों में अप्रत्याशित रेटिंग गिरावट से निवेशकों और बैंकों को झटका लगा है। आरबीआई ने ईटी द्वारा लिखे ईमेल का जवाब देने से इनकार कर दिया। 

RBI गवर्नर ने जाहिर की चिंता 
IL&FS ग्रुप में चल रहे कर्ज को जानने में देरी के चलते क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों की तीखी आलोचना हुई है। यह ग्रुप बैंकों से लिए लोन, म्यूचुअल फंड और प्रोविडेंट फंड का डिफॉल्टर घोषित हो चुका है। हालांकि भारतीय रेटिंग एजेंसियां प्राय: गड़बड़झाले में फंसती रही हैं। क्रेडिट रेटिंग और कंपनी की असल माली हालत के बीच बड़ा फर्क चिंता की बात है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेटिंग एजेंसियां समय रहते कदम नहीं उठाती हैं। 

सूत्र के मुताबिक, 'सिस्टम में मौजूद कुल एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग असेट्स) में से एक तिहाई इन्वेस्टमेंट ग्रेड रेटिंग्स से जेनरेट हुआ है। बैंकिंग सिस्टम में कुल 12 लाख करोड़ रुपए के ऐसे असेट्स हैं जो कर्जे में हैं। आरबीआई गवर्नर ने देश की क्रेडिट रेटिंग एजेंसी में 'कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रेस्ट' के प्रति चिंता जाहिर की।' 

jyoti choudhary

Advertising