कोल्ड ड्रिंक्स से बढ़ रहे मोटापे से बचने के लिए आया यह नया फॉर्मूला

Friday, Oct 14, 2016 - 01:12 PM (IST)

नई दिल्लीः विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) का मानना है कि यदि कोल्ड ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक्स आदि महंगी हो जाए तो इससे बच्चों और युवाओं को मोटापा, डायबिटीज और दांत की बीमारियों से बचाया जा सकता है। उनकी दलील है अगर यह पेय महंगे बिकेंगे तो इनकी खपत कम हो जाएगी, जिससे लोग खराब जीवनशैली के कारण होने वाले रोगों से बच सकेंगे। इसके लिए डब्ल्यू.एच.ओ. दुनिया भर के देशों से मीठे पेय पदार्थों की खुदरा कीमत पर 20 फीसदी का टैक्स लगाने की सिफारिश की है। इनमें सोडा, फ्रूटड्रिंक, स्पोर्ट्स ड्रिंक, एनर्जी-विटामिन ड्रिंक, आइस टी, नींबू पानी पर उत्पाद कर लगाने को कहा गया है। 

भारत में मोटापे की तस्वीर 
- भारत में चीन और अमरीका के बाद सबसे ज्यादा लोग मोटापे के शिकार
- भारत में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं मोटापे से ग्रसित हैं।
- बिहार में सबसे कम 4.3 फीसदी महिलाएं जबकि नगालैंड में सबसे अधिक 6.4 फीसदी महिलाएं मोटापे की शिकार हैं
- मध्यप्रदेश में सबसे कम 4.3 फीसदी पुरुष मोटापे से परेशान, जबकि असम में सबसे ज्यादा 5 फीसदी पुरुष मोटापे से ग्रसित हैं
- सबसे ज्यादा मोटापे के मामले में पंजाब की महिलाएं और पुरुष सबसे आगे हैं। महिलाएं 29.9 फीसदी और 22.2 फीसदी पुरुष मोटापे के शिकार हैं।

शुगर ड्रिंक्स है मोटापे की मुख्य वजह
डब्ल्यूएचओ के निदेशक डॉक्टर डगलस बेचर के मुताबिक पूरी दुनिया में मोटापे और डायबिटीज की सबसे बड़ी वजह यही शुगर ड्रिंक्स ही हैं। अगर सरकारें इन उत्पादों पर कर बढ़ाएगी तो महंगी होने के कारण इनकी खपत कम होगी और लोगों के बीच बढ़ते इन बीमारियों को बचाया जा सकता है। 2014 में पूरी दुनिया के वयस्कों में हर 3 में एक मोटापे का शिकार था। 2015 में करीब 4.2 करोड़ बच्चे जिनकी उम्र 5 साल से भी छोटी थी, वे भी मोटापे से घिरे पाये गए।

पूरी दुनिया कैसे घिरी है मोटापे की बीमारी में
- 1980 से लेकर 2014 तक मोटापा के शिकार लोगों की संख्या दोगुनी हो गई है।
- 2014 की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में हर तीन में से एक शख्स मोटापे का शिकार था।
- किसी भी व्यक्ति को शुगर से केवल उसकी पूरी एनर्जी का 10 फीसदी हिस्सा ही मिलता है।
- डायबिटीज के 30 फीसदी लोगों को स्ट्रोक, 40 फीसदी को हार्ट अटैक, आधे लोग किडनी बेकार होने के शिकार होते हैं।
- 1980 में 108 मिलियन लोग डायबिटीज के मरीज थे जिनकी संख्या 2014 में 422 मिलियन तक पहुंच गई। वहीं 2012 में अकेले 1.5 मिलियन लोगों की मौत डायबिटीज के चलते हुई थी।
 

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