मंदी की चपेट में चीन का रियल एस्टेट सेक्टर, चार साल बाद भी नहीं थमा संकट
punjabkesari.in Saturday, Nov 01, 2025 - 12:20 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः कभी चीन की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाला रियल एस्टेट सेक्टर अब गहरी मंदी की चपेट में है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2025 में चीन में घरों की बिक्री पिछले साल की तुलना में 42% तक गिर गई है। यह गिरावट तब आई है जब सरकार ने बाजार को संभालने के लिए कई राहत उपाय लागू किए थे लेकिन इसके बावजूद प्रॉपर्टी सेक्टर में सुधार के संकेत नहीं दिख रहे हैं।
चीन रियल एस्टेट इंफॉर्मेशन कॉर्पोरेशन के अनुसार, अक्टूबर में देश की 100 प्रमुख प्रॉपर्टी कंपनियों की नई मकान बिक्री 35.6 अरब डॉलर रही, जो साल-दर-साल 41.9% की गिरावट दर्शाती है। सितंबर में थोड़ी स्थिरता के बाद बाजार फिर से फिसल गया है।
प्रॉपर्टी मार्केट चार साल से संकट में
रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन का प्रॉपर्टी मार्केट चार साल से भी अधिक समय से संकट में है। दूसरी तिमाही से बिक्री लगातार घट रही है। सरकार ने बड़े शहरों में मकान खरीदने के नियम आसान किए और ब्याज दरों में कमी की लेकिन रोजगार संकट और लोगों की कमजोर आमदनी के कारण मांग में सुधार नहीं हुआ।
इस मंदी का सबसे बड़ा असर प्रॉपर्टी डेवलपर्स पर पड़ा है, जो अब अपने कर्ज चुकाने और अधूरे मकान पूरे करने में संघर्ष कर रहे हैं। इससे खरीदारों का भरोसा और कमजोर हुआ है। सितंबर और अक्टूबर परंपरागत रूप से घर खरीदने के मजबूत महीने माने जाते हैं लेकिन इस बार भी बाजार में ठहराव बना रहा।
सरकारी राहत बेअसर
सरकार ने अब तक होम लोन दरों में कटौती, शहरी गांवों के पुनर्विकास और टैक्स रियायत जैसे कदम उठाए हैं। हालांकि, सेंटलाइन प्रॉपर्टी एजेंसी के मुख्य विश्लेषक झांग दावेई का कहना है कि मांग बढ़ाने के लिए चौथी तिमाही में और कदम उठाने पड़ सकते हैं- जैसे कि ब्याज दरों को और घटाना या व्यक्तिगत आयकर में राहत देना।
आगे की संभावनाएं
फिच रेटिंग्स की डायरेक्टर लुलु शी ने चेतावनी दी है कि आने वाले महीनों में चीन में नए घरों की बिक्री क्षेत्रफल के हिसाब से और 15% घट सकती है, जबकि अगले साल बिक्री मूल्य में 7% से 10% तक की और गिरावट संभव है।
विश्लेषकों का मानना है कि चीन को अपनी 2026-2030 की आगामी पांच-वर्षीय योजना में रियल एस्टेट क्षेत्र की इस गिरावट से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, वरना यह मंदी देश की आर्थिक वृद्धि पर गहरा असर डाल सकती है।
