पति की गिरफ्तारी के बाद लोन के फर्जीवाड़े के कारण चंदा कोचर की मुश्किलें बढ़नी तय

Tuesday, Sep 08, 2020 - 05:51 AM (IST)

नई दिल्लीः इन्फोर्स्मेंट डायरेक्ट्रेट द्वारा आई सी आई सी आई की पूर्व एम डी चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तार किए जाने के बाद अब चंदा कोचर की मुश्किलें भी बढ़नी तय हैं। चंदा कोचर भी इस मामले में आरोपी हैं और सी. बी. आई. और ईडी इस दंपति से कई बार पूछताछ कर चुकी है। दीपक कोचर की गिरफ्तारी के बाद अब इस मामले में चंदा कोचर पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है। मनी लांड्रिंग के जिस मामले में दीपक कोचर को गिरफ्तार किया गया है उसमे कम से कम 3 साल और अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है। 

चंदा के एमडी रहते दिए गए लोन 
शुरुआती जांच में पाया गया कि चंदा कोचर के बैंक की एम डी रहते वीडियोकॉन को जून 2009 से अक्टूबर 2011 के मध्य 1875 करोड़ रूपए के छह लोन पास किए गए। बैंक के जिस बोर्ड ने लोन पास किए गए उसकी कई बैठकों में चंदा कोचर खुद भी शामिल थी। यह सारे कर्ज 2017  में नान परफार्मिंग एसेट्स यानि एनपीए करार दे दिए गए थे। सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक इस मामले में बैंक को 1830 करोड़ रूपए का घाटा हुआ था।

कैसे हुआ सारा खेल 

  • जुलाई 2008- चंदा कोचर के बैंक की एम डी बनने से पहले सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी में वी एन धूत और वसंत काकड़े को निदेशक बनाया गया।
  • दिसंबर 2008-  नु पावर रिन्यूबल एनर्जी नाम की कंपनी बनाई गई। इस कंपनी में वी एन धूत उसका भाई सौरभ दूत और दीपक कोचर निदेशक बने।
  • जनवरी 2009- वी एन धूत ने सुप्रीम एनर्जी से इस्तीफा देकर इसका सारे नियंत्रण दीपक कोचर को दे दिया, इस दौरान धूत भाइयों ने नु पावर का नियंत्रण भी दीपक कोचर को दे दिया
  • मई 2009- चंदा कोचर आई सी आई सी आई बैंक की एम डी और सी ई ओ बनी।
  • जून 2009- नु पावर में धूत और दीपक कोचर की हिस्सेदारी वाले शेयर सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर किए गए।
  • जून 2009 से अक्टूबर 2011 - आई सी आई सी आई बैंक ने वीडियोकॉन की कंपनियों को 1875 करोड़ रूपए के छह अलग अलग कर्ज को मंजूरी दी। इस से पहले जून 2008 में वीडियोकॉन को दिए गए 3000 करोड़ रूपए के टर्म लोन के समय भी चंदा कोचर लोन सेंक्शन करने वाली कमेटी की सदस्य थी। यह कर्ज जून 2009 में चंदा कोचर के एम डी बनने के बाद वीडियोकॉन को मिला ।
  • सितंबर 2009-  वी एन धूत ने पहला पावर प्लांट एक्वायर करने के लिए नु पावर रिन्यूबल एनर्जी को वीडियोकॉन इंडस्ट्री से सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के जरिए 64 करोड़ रूपए ट्रांसफर किए।
  • अप्रैल 2012- वीडियोकॉन की कंपनियों को दिए गए 1730 करोड़ रूपए के लोन रुपया टर्म लोन में परिवर्तित किए गए
  • जून 2017- वीडियोकॉन की कंपनियों को एन पी ए करार दिया गया। 
  • दिसंबर 2017- सी बी आई ने इस मामले में  वी एन धूत , दीपक कोचर और  चंदा कोचर के खिलाफ प्रारंभिक  जांच शुरू की
  • जनवरी 2019- सी बी आई ने वी एन धूत , दीपक कोचर और  चंदा कोचर और इनकी कंपनियों के साथ साथ बैंक के कुछ अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया

चंदा कोचर के खिलाफ ED की बड़ी कार्रवाई, अटैच की गई करोड़ों की संपत्ति
2012 में आईसीआईसीआई बैंक से विडियोकॉन को मिले 3,250 करोड़ रुपए के लोन मामले में ICICI बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके परिवार के मुंबई स्थित फ्लैट और उनके पति दीपक कोचर की कंपनी की कुछ संपत्तियों को अटैच किया जा चुका है है। जब्त संपत्तियों का कुल मूल्य 78 करोड़ रुपए बताया जा रहा है।

मोदी को लिखी चिट्ठी से खुला बैंक और कारपोरेट सांठ गांठ का खेल
आईसीआईसी बैंक की पूर्व एम डी चंदा कोचर पर आज गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है लेकिन एक समय देश की सबसे ताकतवर महिलाओं में से एक और भारत की कारपोरेट जगत का बड़ा चेहरा थी लेकिन अब उनके पति द्वारा किए गए घोटाले में शामिल होने के कारण वह नेगेटिव खबरों के चलते चर्चा में हैं। हालांकि मामले के सामने आने के बाद बैंक भी चंदा कोचर के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा रहा था लेकिन जब घोटाले की परतें खुलनी शुरू हुई तो बैंक ने चंदा के कारनामों की स्वतंत्र जांच करवाई तो वह दोषी निकली। दरअसल यह सारा मामला 2016 में शेयर होल्ड एक्टिविस्ट रविन्द गुप्ता द्वारा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी के बाद खुलना शुरू हुआ। यह चिट्ठी मार्च 2016 में लिखी गई थी। 

हालांकि उस समय प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस चिठ्ठी पर जवाब नहीं दिया था इस बीच चिठ्ठी के बाद जुलाई 2016 में प्रधानमंत्री कार्यलय ने मामले की जांच आरबीआई को सौंपी तो इस इस जांच में कुछ खास नहीं निकल पाया। इस बीच गुप्ता ने यह चिट्ठी अक्टूबर 2016 में अपने ब्लॉग पर डाल दी ,इस चिट्ठी में चंदा कोचर और वीडियोकॉन की कारपोरेट सांठ गांठ का खुलासा किया गया था मार्च 2018 में  जब नीरव मोदी द्वारा पंजाब नैशनल बैंक के साथ की गई 13 हजार करोड़ रूपए की धोखा धड़ी का मामला सुर्ख़ियों में आया तो गुप्ता के ब्लॉग पर चिठ्ठी ने मुख्य धारा की मीडिया सुर्खियां बटोरनी शुरू  कर दी। इस बीच आई सी आईसीआईबैंक ने अंदरूनी आडिट में चंदा कोचर को क्लीन चिट दे दी। लेकिन जब मामले में सी बी आई ने जांच शुरू की तो सेबी ने भी इस मामले में नोटिस जारी कर दीपक कोचर और चंदा कोचर से जवाब मांगा। चौरतफा दबाव के बाद आखिर आई सी आई सी आई बैंक के बोर्ड ने मामले की कृष्णा पेनल से स्वतंत्र जांच करवाई। जांच के दौरान ही चंदा कोचर ने अक्टूबर 2018 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया बाद में चंदा कोचर को स्वतंत्र जांच में आरोपी पाया गया।

Pardeep

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