ATM से कैश निकासी बढ़ी, लेकिन देशभर में 5,000 एटीएम हुए बंद! जानें क्यों
punjabkesari.in Wednesday, Jun 18, 2025 - 05:57 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः देश में भले ही डिजिटल ट्रांजेक्शन का चलन तेजी से बढ़ा है लेकिन नकद लेनदेन की जरूरत अभी भी बनी हुई है। खासकर एटीएम से कैश निकासी में बीते पांच सालों में 6% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके बावजूद हैरानी की बात यह है कि देशभर में बैंकों ने हजारों एटीएम बंद कर दिए हैं।
ब्रांच बढ़ी लेकिन ATM घटे
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021-22 में जहां देश में बैंक शाखाओं की संख्या 1,30,176 थी, वहीं 2024-25 में यह संख्या 9.3% बढ़कर 1,42,359 हो गई है। इसी दौरान एटीएम से कुल नकद निकासी बढ़कर लगभग ₹30.6 लाख करोड़ तक पहुंच गई, जो 2020-21 में ₹28.89 लाख करोड़ थी लेकिन इसी अवधि में एटीएम की संख्या में भारी गिरावट आई है। 2022-23 से 2024-25 के बीच करीब 5,000 एटीएम हटा दिए गए। सरकारी, निजी और विदेशी बैंकों के स्वामित्व वाले एटीएम 2020-21 में 2,11,332 थे, जो 2024-25 में घटकर 2,11,656 रह गए।
कैश रिसाइक्लिंग मशीनें भी हो रही कम
न केवल एटीएम, बल्कि कैश जमा करने वाली मशीनें यानी कैश रिसाइक्लर्स की संख्या में भी कमी आई है। यह ऐसे समय में हो रहा है जब ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में एटीएम की जरूरत अभी भी बनी हुई है।
एटीएम क्यों हटा रहे हैं बैंक?
बैंकों द्वारा एटीएम की संख्या घटाने के पीछे मुख्य वजह इसका महंगा रखरखाव है। इंडस्ट्री विशेषज्ञों के अनुसार, एटीएम संचालन में नकद प्रबंधन, कैसेट स्वैप, मशीन सर्विसिंग और सुरक्षा जैसे कई खर्च शामिल होते हैं। इसके अलावा, डिजिटल पेमेंट की ओर उपभोक्ताओं के झुकाव ने भी एटीएम की उपयोगिता को कुछ हद तक कम किया है।
क्या है आगे का रास्ता?
RBI की रिपोर्ट बताती है कि डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी के बावजूद भारत के कई हिस्सों—खासतौर पर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों—में नकद लेनदेन की जरूरत बनी रहेगी। ऐसे में बैंकों को एटीएम की संख्या घटाते वक्त क्षेत्रीय संतुलन का ध्यान रखना होगा, ताकि डिजिटल और कैश आधारित दोनों तरह की सेवाएं सुचारु रूप से चलती रहें।