कैग ने 20 बिल्डर परियोजनाओं के आबंटन की प्रक्रिया पर जताई आपत्ति

Sunday, Jun 23, 2019 - 12:53 PM (IST)

नोएडाः नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सी.ए.जी.) ने जांच में पाया है कि बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए प्राधिकरण ने अपने नियमों में बदलाव किया। सी.ए.जी. ने आबंटन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए 20 बिल्डर परियोजनाओं के लिए प्राधिकरण द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है। 

इसमें सबसे ज्यादा आपत्ति आबंटन राशि को 30 की जगह 10 प्रतिशत करने को लेकर है। सी.ए.जी. (कैग) ने इस संबंध में प्राधिकरण से एक माह में जवाब मांगा है। जिन 20 बिल्डर परियोजनाओं पर कैग ने आपत्ति जताई है उनका आबंटन 2005 से 2015 के बीच किया गया। इनमें एक ही बिल्डर की 4 बड़ी परियोजनाओं के साथ ही 3 अन्य बड़ी ग्रुप हाऊसिंग परियोजनाएं भी शामिल हैं। इस दौरान प्रदेश में सपा व बसपा का शासन रहा। 

प्रोफैशनल बिल्डरों को आबंटित नहीं हुए बड़े प्लाट
कैग ऑडिट में यह बात सामने आई है कि बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों में बार-बार बदलाव किया गया। 2005 में ग्रुप हाऊसिंग के प्लॉटों के आबंटन के लिए 30 प्रतिशत आबंटन राशि लेने का नियम था लेकिन बसपा शासनकाल में इस नियम को बदलकर 10 प्रतिशत आबंटन राशि जमा करने का बना दिया गया। नतीजतन ऐसे बिल्डरों को भी बड़े प्लॉट आबंटित हो गए जो प्रोफैशनल नहीं थे। इन्होंने भूखंड लेने के बाद आज तक बकाया नहीं दिया है। तमाम बिल्डर डिफाल्टर हैं। इस पर कैग ने सख्त आपत्ति जताई है। इतना ही नहीं, बिल्डरों को भूमि आबंटित करते समय यह नियम भी था कि उन्हें तय समय में काम पूरा करना है लेकिन 10 साल बीतने के बावजूद परियोजनाएं अधूरी हैं। इनके खिलाफ  प्राधिकरण ने कोई कार्रवाई नहीं की। ग्रुप हाऊसिंग के साथ-साथ व्यावसायिक परियोजनाओं पर भी सवाल उठाए हैं। 

शर्तों का पालन नहीं होने पर भी उठे सवाल
अधिकारियों ने बताया कि बिल्डरों के अलावा स्कूलों व अन्य संस्थाओं को छूट देकर जमीन देने के बावजूद उस समय की शर्तों का पालन नहीं होने पर भी सवाल उठाए गए हैं। कैग ने सैक्टर-78, 79, 150 और 152 में स्पोर्ट्स सिटी की योजनाओं के लिए आबंटन प्रक्रिया पर भी आपत्ति जताई है। प्राधिकरण की इस नाकामी की वजह से प्राधिकरण का बिल्डरों पर करीब 20,000 करोड़ रुपए बकाया है। इसमें से करीब 11 हजार करोड़ रुपए ग्रुप हाऊसिंग परियोजनाओं पर बकाया हैं। प्राधिकरण के चेयरमैन आलोक टंडन ने कैग की आपत्तियों के मुद्दे पर ही बुधवार शाम विभाग के सभी अधिकारियों के साथ बैठक की थी। बैठक में उन्होंने अधिकारियों को कैग की सभी आपत्तियों का जवाब देने के लिए एक सप्ताह से लेकर एक महीने तक का समय दिया था।

jyoti choudhary

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