स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को कैबिनेट की मंजूरी, देश में ही बनेंगे Fighter jets

Thursday, May 25, 2017 - 10:49 AM (IST)

नई दिल्लीः सरकार की ओर से डिफेंस सेक्टर में स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप पॉलिसी को मंजूरी मिलना देश में प्राइवेट डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए एक बड़ा तोहफा है। सरकार अगले वर्ष तक 20 अरब डॉलर यानी करीब 1,20,920 करोड़ रुपए से अधिक के बड़े ऑर्डर्स पर फैसला करेगी। इन ऑर्डर्स के लिए छह कंपनियों की लिस्ट बनाई जाएगी। इस लिस्ट में शामिल होने के लिए देश की बड़ी कंपनियों में होड़ शुरू हो गई है।

18 महीनों से अटकी हुई थी पॉलिसी
ब्यूरोक्रेसी के बीच मतभेदों के कारण यह पॉलिसी पिछले 18 महीनों से अटकी हुई थी। लेकिन डिफेंस मिनिस्टर अरुण जेतली के हस्तक्षेप और स्टेकहोल्डर्स के साथ कई दौर की मीटिंग के बाद इसे कुछ सप्ताह में ही क्लियर कर दिया गया। प्राइवेट डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पिछले तीन वर्षों से डिफेंस मिनिस्ट्री की ओर से ऑर्डर्स की कमी से नाराज था। बहुत सी बड़ी कंपनियों ने सरकार से शिकायत की थी कि सभी बड़े प्रॉजेक्ट्स सरकारी कंपनियों को दिए जा रहे हैं। उनका कहना था कि यह चलन दशकों से जारी है। जेतली ने बताया कि बुधवार को एक मीटिंग में कैबिनेट को स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप पॉलिसी के जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि अभी इसके लिए चार सेगमेंट- हेलिकॉप्टर, सबमरीन, आर्मर्ड व्हीकल्स और फाइटर जेट की पहचान की गई है।

देश में ही बनाए जाएंगे फाइटर जेट्स 
इस पॉलिसी के तहत सरकार कुछ भारतीय कंपनियों को शॉर्टलिस्‍ट करेगी। ये कंपनियां सेना और विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर फाइटर जेट्स, हेलिकॉप्‍टर, बख्‍तरबंद वाहन और सबमरींस बनाएंगी। ऐसी उम्‍मीद जताई जा रही है कि पॉलिसी को मंजूरी मिलने के बाद इस काम के लिए भारतीय कंपनी लार्सेन एंड टुब्रो, महिंद्रा ग्रुप, टाटा ग्रुप और रिलायंस व अडानी ग्रुप आगे आएंगे। इस पॉलिसी के तहत छह भारतीय कंपनियों का एक पूल बनाया जाएगा, जिसे डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग के लिए विशेष दर्जा मिलेगा। इस पूल के लिए कंपनियों का चयन उनकी वित्तीय ताकत और तकनीकी विशेषज्ञता के आधार पर किया जाएगा।

9 महीने में चुनने होंगे विदेशी पार्टनर्स
डिफेंस मिनिस्ट्री अब पहचाने गए चार सेगमेंट के लिए विदेशी पार्टनर्स को तलाशने का काम भी शुरू करेगी। भारतीय कंपनियों को चुनने के लिए नौ महीने का लक्ष्य रखा गया है। यह काम तकनीकी आकलन और फील्ड ट्रायल के आधार पर किया जाएगा। विदेशी कंपनियों को शॉर्टलिस्ट करने के बाद भारतीय कंपनियों के पूल को कोलेब्रेशन की योजना बनाने और जॉइंट प्रपोजल पेश करने के लिए निमंत्रित किया जाएगा, जो अंतिम चयन का आधार होगा। पॉलिसी के तहत, एक भारतीय कंपनी को केवल एक स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप प्रॉजेक्ट में हिस्सा लेने की अनुमति दी जाएगी।

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