वित्तीय और व्यापक आर्थिक परिस्थितियों में कारोबारी भरोसा सबसे निचले स्तर पर

Tuesday, Sep 26, 2017 - 12:10 PM (IST)

मुम्बई/दिल्ली: नोटबंदी से लगे भारी आघात के बाद जी.एस.टी. से संबंधित चिंताओं से जुलाई-सितम्बर तिमाही की अवधि में भारत के मुख्य वित्तीय अधिकारियों का बिजनैस कांफिडैंस डगमगा गया है।  डन एंड ब्रैडस्ट्रीट इंडिया की तरफ से सी.एफ.ओ. (मुख्य वित्तीय अधिकारियों) पर किए सर्वे के अनुसार जुलाई-सितम्बर के लिए कुछ वित्तीय और व्यापक आर्थिक परिस्थितियों में यह विश्वास 6 तिमाहियों (डेढ़ साल) में सबसे कम रह गया है। यह सर्वे 300 प्रतिनिधियों पर किया गया था।

समग्र सी.एफ.ओ. आशावाद सूचकांक वार्षिक आधार पर 11 प्रतिशत तक गिर गया है और तिमाही आधार पर 5.7 प्रतिशत रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक सी.एफ.ओ. के बीच विश्वास उनकी कंपनियों की वित्तीय कारगुजारी से तेजी से गिरा है जो देश के कुल व्यापक आर्थिक परिस्थितियों की तुलना में बदतर है। भारत की अर्थव्यवस्था का विस्तार जून को खत्म हुई तिमाही में 5.7 प्रतिशत रहा जो कि पिछले 3 वर्षों में सबसे कम है। इससे पहले के 3 महीनों में यह दर 6.1 थी। ये आंकड़े अगस्त में जारी हुए थे। डन एंड ब्रैडस्ट्रीट इंडिया के मैनेजिंग डायरैक्टर मनीश सिन्हा ने कहा है कि यह चिंता कम घरेलू और कमजोर विदेशी मांग से संबंधित है जिससे कार्पोरेट शीट पर दबाव बढ़ा है।

बैंकिंग सिस्टम में भी एसेट्स पर दबाव बढ़ गया है। इसके साथ सार्वजनिक वित्तीय स्थिति पर दबाव पडऩे से विश्वास का स्तर कम हो गया है। कुछ सी.एफ.ओ. का कहना है कि जी.एस.टी. सिस्टम लागू होने से उनके विश्वास को भारी नुक्सान पहुंचा है। अगस्त में जी.एस.टी. की रिटर्न दायर करने की अंतिम तिथि को लेकर व्यापारियों में तकनीकी खामियों का दबदबा जारी रहा जिसमें अप्रत्यक्ष कर सुधार के दूसरे महीने में भी सुधार नहीं हो पाया। जी.एस.टी. लागू करते समय वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कहा था कि इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और वृद्धि दर बढ़ेगी। लगभग 25 ऐसी कठिनाइयां उस समय व्यापारियों के देखने को मिलीं जब जी.एस.टी. के समर्थन में आई.टी. नैटवर्क का इस्तेमाल किया गया जिसे इंफोसिस लिमिटेड ने जारी किया था।

 

Advertising