नोट बैन से बिल्डर्स को मिला बहाना, प्रोजेक्ट्स होंगे लेट

Monday, Nov 21, 2016 - 01:04 PM (IST)

नई दिल्लीः 500 और 1000 रुपए के नोट बंद होने के बाद जहां रियल एस्टेट मार्कीट पूरी तरह ठप हो गई है वहां दिल्ली-एनसीआर के लाखों बायर्स का फ्लैट पाने का इंतजार और लंबा हो गया है। अंडर कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स में काम पूरी तरह रुक गया है। लेबर्स की दिहाड़ी का इंतजाम न होने के कारण यह स्थिति बनी है। इसके चलते प्रोजेक्ट्स में देरी की संभावना बन गई है।

नोएडा एस्टेट फ्लैट ऑनर्स मेन एसोसिएशन (नेफोमा) के अध्यख अन्नू खान ने कहा कि नोट बंद होने से बिल्डर्स को बहाना मिल गया है और वे प्रोजेक्ट्स लेट कर सकते हैं, लेकिन ऐसा हुआ तो बायर्स इसका विरोध करेंगे। थोड़ी बहुत परेशानी सब को हो रही है, लेकिन काम नहीं रुक रहें।

जल्द ही हालात होंगे सामान्य 
हालांकि डेवलपर्स का कहना है कि यह कुछ दिन की दिक्कत है, जो कुछ दिन भी सामान्य हो जाएगी। कंफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के एनसीआर चेप्टर के प्रेसिडेंट मनोज गौर ने कहा कि नोट बंद होने के बाद काम फिलहाल रुक गया है, क्योंकि कैश-फ्लो थम गया है, लेकिन कुछ दिन बाद हालात ठीक हो जाएंगे। इससे वे प्रोजेक्ट्स तो प्रभावित होंगे, जो एक से डेढ़ महीने के भीतर कम्पलीट होने थे, लेकिन डेवलपर्स प्रयास करेंगे कि ये भी जल्द पूरे हो जाएं।

मजदूरों के लिए की जा रही है पूरी व्यवस्था 
नोट बंद होने से प्राइमरी मार्कीट पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए मजदूरों के लिए खाने तक की व्यवस्था की जा रही है, ताकि उन्हें कोई दिक्कत न हो, लेकिन जल्द ही हालात सामान्य हो जाएंगे। रियल एस्टेट मार्कीट पर इसका असली असर कुछ माह बाद दिखेगा, जब होम लोन की ब्याज दर कम होगी और मार्कीट में फिर से उछाल आएगा।

कॉन्ट्रेक्टर्स के पास पैसा खत्म
नोट बंद होने के बाद से रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स पर लगे कॉन्ट्रेक्टर्स परेशान हैं। वे लगभग सभी मजदूरों को रोजाना नगद भुगतान करते थे, लेकिन पहले दो तीन दिन तो मजदूरों को बाद में भुगतान की बात कह कर काम करा लिया, लेकिन उसके बाद जब पुराने नोट देकर बैंक भेजा तो वे पूरा-पूरा दिन लाइन लगे रह गए। अब स्थित यह आ गई है कि कॉन्ट्रेक्टर्स के पास पैसा खत्म हो गया है। एक कॉन्ट्रेक्टर को करंट अकाउंट में से 50 हजार रुपए निकलवाने की इजाजत है, उसके लिए भी लाइन पर लगना पड़ रहा है। साथ ही, 50 हजार रुपए से उनका एक दिन भी काम नहीं चल रहा है।
 

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