बिल्डरों पर लगाम कब, घर खरीदारों के सपने चूर-चूर

punjabkesari.in Tuesday, Apr 19, 2016 - 01:35 PM (IST)

नई दिल्लीः बिल्डरों की मनमानी से जनता त्रस्त है। घर खरीदने के नाम पर उनके साथ धोखा होता है। आम्रपाली बिल्डर के दिए जख्म अभी हरे ही थे कि बिल्डर की मनमानी का एक और मामला सामने आया है। गौर संस के एमडी हैं मनोज गौर जिनका एक सनसनीखेज वीडियो सामने आया है। इस वीडियो में वो ग्राहकों को धमकाते नजर आ रहे हैं।

 

दिल्ली-एनसीआर में सैकड़ों लोग हैं जो दिन रात मेहनत करके अपने सपनों का घर खरीदना चाहते हैं। बड़े बिल्डरों के प्रोजैक्ट में ये लोग घर इसलिए खरीदते हैं ताकि परेशानी से बच सके लेकिन हकीकत कुछ और ही होती है।

 

बता दें कि नोएडा में 60 से 70 हजार ऐसे ग्राहक हैं, जो बिल्डरों की मनमानी की वजह से अपने घर की रजिस्ट्री नहीं करा पा रहे हैं। इसी तरह ग्रेटर नोएडा में 20 से 30 हजार ग्राहक घर की रजिस्ट्री ना होने से परेशान हैं। लोगों का आरोप है कि उन्हें बिल्डर पजेशन सर्टिफिकेट ही नहीं दे रहे।

 

दरअसल बिल्डरों पर अथॉरिटी के करोड़ों रुपए बकाए हैं, लिहाजा बिल्डर पजेशन सर्टिफिकेट नहीं दे पा रहे और ग्राहक रजिस्ट्री नहीं करा पा रहे। अब इस मामले में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दखल के बाद जनता की परेशान जल्द सुलझने की उम्मीद है।

 

दिल्ली-एनसीआर में करीब 5.25 लाख घरों की डिलीवरी में देरी हो रही है और घरों की डिलीवरी में 8 साल तक की देरी हुई है। गाजियाबाद में औसत 29 महीने की देरी देखने को मिल रही है, जबकि नोएडा में घरों की डिलीवरी में औसत 30 महीने की देरी हो रही है। गुड़गांव में घरों की डिलीवरी में औसत 34 महीने की देरी देखने को मिल रही है।

 

एक स्टडी के मुताबिक 25 शहरों में करीब 34 फीसदी रेसिडेंशियल प्रोजैक्ट में देरी देखने को मिल रही है। 2300 से ज्यादा प्रोजैक्ट में काम शुरू भी नहीं हुआ है। 1000 से ज्यादा बन रहे प्रोजेक्ट में काफी देरी हो चुकी है। घरों की डिलीवरी में देरी की वजह से निवेशकों के करीब 14 लाख करोड़ फंसे हैं।


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