बजट 2018: टेलिकॉम सेक्टर को हैं कई उम्मीदें

Thursday, Jan 25, 2018 - 03:08 PM (IST)

नई दिल्लीः बीते साल हुए प्रमुख आर्थिक बदलावों ने देश के कई सेक्टर्स पर असर डाला, लिहाजा इस बार के आम बजट से इन्हीं सेक्टर्स को कुछ राहत की उम्मीद है। इनमें सबसे प्रमुख देश का टेलिकॉम सेक्टर है।

घटाया जाए जीएसटी
जीएसटी इस सेक्टर की सबसे बड़ी मुश्किल है। सेक्टर की मांग है कि मौजूदा समय में टेलिकॉम सेक्टर पर जो 18 फीसद की दर है उसे घटाया जाना चाहिए। सेक्टर्स के मुताबिक इसे 12 फीसद किया जाना चाहिए ताकि सेक्टर को राहत मिले। पब्लिक लाइन पर अगर टॉवर लगाया जाता है या ऑप्टिकल फाइबर बिछाई जाती है तो सरकार उस पर सर्विस टैक्स यानी जीएसटी लगाना चाहती है। जैसा कि सरकार पब्लिक लाइन पर ऑप्टिकल फाइबर बिछाए जाने या फिर टॉवर लगाए जाने पर कार्पोरेशन पर कोई टैक्स नहीं लगा सकती है, ऐसे में अगर प्राइवेट प्लेयर्स इस लाइन पर टावर लगाते हैं तो सरकार कार्पोरेशन (लोकल अथॉरिटी) पर दबाव डाल रही है कि वो इस टैक्स को प्राइवेट प्लेयर से वसूल करें। तो सेल्युलर ऑपरेटर्स की यह मांग है कि इस कर को हटाया जाना चाहिए।

डिस्काउंट के ऊपर न लगे टैक्स
आपरेटर्स सिम कार्ड डिस्ट्रीब्यूशन पर डिस्ट्रीब्यूटर को कुछ डिस्काउंट देते हैं। प्रीपेड सिम कार्ड (जैसे की टॉपअप वगैहरा)। प्रीपेड सिम को डिस्ट्रीब्यूटर्स की ओर से ही डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है। आपरेटर्स की मांग है कि उनको मिलने वाले डिस्काउंट को कमीशन मानकर उस पर जो टैक्स लगाया जाता है वो नहीं लिया जाना चाहिए। उनका कहना है कि उनके डिस्काउंट को डिस्काउंट ही माना जाना चाहिए और उस पर कर नहीं लगना चाहिए। डिस्काउंट के ऊपर टैक्स नहीं लगता है लेकिन आयकर विभाग वाले इसे कमीशन मान इस पर टैक्स लगाते हैं।

4G इक्विमेंट पर न लगे टैक्स
भारत में 2G और 3G उपकरण ही बनते हैं 4G नहीं बनता है। मेक इन इंडिया के चक्कर में सरकार ने 4G से लैस आयातित इक्विपमेंट पर सरकार ने कस्टम ड्यूटी लगाना शुरू कर दी थी। तो सेक्टर की मांग है कि जब भारत में LTE से लैस 4G इक्विपमेंट बनते ही नहीं हैं तो ब्राडबैंड वगैहरा पर टैक्स क्यों लगाया जा रहा है। सेक्टर का कहना है कि जब तक देश 4G इक्विमेंट बनाने में सक्षम नहीं हो जाता है तो इन पर जीरो कस्टम ड्यूटी होनी चाहिए।

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