बजट 2018: आम आदमी पर कम हो सकता है कर का बोझ

Sunday, Jan 28, 2018 - 11:45 AM (IST)

नई दिल्लीः आर्थिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि आगामी बजट में कर मुक्त आय की सीमा ढाई से बढ़ाकर तीन लाख रुपए की जा सकती है। कुछ विश्लषकों का मानना है कि सरकार वेतन भोगियों को कुछ राहत देने के लिए फिर स्टैंडर्ड डिडक्शन शुरू कर सकती है।  उनका मानना है कि बजट में कृषि क्षेत्र में निवेश और बड़ी ढांचागत परियोजनाओं पर खर्च बढ़ाने पर जोर होगा।

वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगे। मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का यह पांचवां और अंतिम पूर्ण बजट होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संकेत दिया है कि आगामी बजट लोकलुभावन नहीं होगा और सरकार सुधारों के रास्ते पर आगे बढ़ती रहेगी। इस लिहाज से सरकार के समक्ष राजकोषीय अनुशासन को बनाये रखने की चुनौती होगी।  विशेषज्ञों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.2 प्रतिशत तक सीमित रखना सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है। मध्यावधिक योजना के अनुसार अगले वित्त वर्ष में इसे कम करके 3 प्रतिशत पर लाना वित्त मंत्री के लिये और बड़ी चुनौती होगी।  उद्योग संगठन एसोचैम के कर विशेषज्ञ निहाल कोठारी के अनुसार वित्त मंत्री आयकर स्लैब में कुछ बदलाव कर सकते हैं।

तीन लाख रुपए तक की आय को पूरी तरह से कर मुक्त किया जा सकता है। हालांकि, मौजूदा व्यवस्था में भी तीन लाख रुपए तक की आय कर मुक्त है, लेकिन बजट में स्लैब में ही बदलाव कर इस व्यव्स्था को पक्का किया जा सकता है। इस समय ढाई लाख रुपएए तक की सालाना आय कर मुक्त है जबकि ढाई से पांच लाख रुपए की आय पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगता है। इसके अलावा इस वर्ग में 2,500 रुपए की अतिरिक्त छूट भी दी गई है जिससे तीन लाख रुपए तक की आय पर कोई कर नहीं लगता है। संभवत: वित्त मंत्री इस स्लैब को तीन से पांच लाख रुपये कर सकते हैं। इसके बाद पांच से दस लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और दस लाख रुपये से अधिक की आय पर तीस प्रतिशत दर से कर देय होगा।    

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