ब्लैकमनी: बंद कंपनियों के पुराने रिकॉर्ड खंगाल रहा आयकर विभाग

Tuesday, Sep 19, 2017 - 01:47 PM (IST)

मुम्बई: आयकर विभाग बंद हो चुकी कंपनियों के पुराने रिकार्ड खंगाल रहा है। पहले उसने शायद ही कभी ऐसा कदम उठाया हो। ऐसी कई निजी कंपनियों के पूर्व निदेशकों (डायरैक्टर्स) को ऑफिशियल लिक्विडेटर्स के साथ आयकर विभाग के नोटिस मिले हैं। इससे इन कंपनियों को टैक्स की मांग किए जाने का डर सताने लगा है।

पुरानी प्राइवेट कंपनियों को बंद करके नई कंपनियां खोलना काले धन को शिफ्ट करने का पुराना रास्ता रहा है लेकिन ऐसी कई कंपनियां जैन्यून बिजनैस के लिए भी खोली गई थीं जो असफल रहीं और उन्हें बंद करना पड़ा। इस मामले में जैन्यून कंपनियां भी आयकर विभाग के निशाने पर आ गई हैं। अब तक डिपार्टमैंट उन कंपनियों से दूर रहता आया था जिन्हें वाइंडिंग-अप प्रोसैस से पहले उसने नो-ऑब्जैक्शन सर्टीफिकेट इश्यू किया था। वैसे कानूनन फ्रॉड की आशंका होने पर आयकर विभाग बंद पड़ी कंपनियों के पुराने रिकॉर्ड की पड़ताल कर सकता है।

टैक्स फ्रॉड की आशंका से होगी पड़ताल
सीनियर चार्टर्ड अकाऊंटैंट दिलीप लखानी ने कहा कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के बंद होने के बाद भी उसके निदेशकों पर लायबिलिटी बनी रहती है। इन मामलों में उन्हें साबित करना होगा कि अगर कोई टैक्स बकाया है तो उसकी वजह कंपनी की गलती नहीं है। जिन कंपनियों को बंद कर दिया गया है या जिनके नाम रजिस्ट्रार ऑफ  कंपनीज (आर.ओ.सी.) रिकॉड्स से हटा दिए गए हैं उनके पुराने रिकॉर्ड्स की पड़ताल चुनिंदा मामलों में ही होनी चाहिए। सिर्फ उन मामलों में जहां टैक्स फ्रॉड की आशंका हो।

अगर किसी कम्पनी को स्वेच्छा से बंद किया जा रहा है तो उसका लिक्विडेटर आयकर विभाग से बकाए टैक्स का पता लगाने के लिए संपर्क  कर सकता है। कंपनी की संपत्ति बेचकर मिले पैसे को बैंकों और शेयरधारकों के बीच बांटने से पहले उसे बकाया टैक्स की रकम अलग रखनी पड़ती है। हालांकि ऐसे मामलों में भी डिपार्टमैंट पुराने असैसमैंट को रिओपन कर सकता है, बशर्ते उसे धोखाधड़ी का शक हो।

बंद कंपनियों के लिए एन.ओ.सी. जारी करता है विभाग
अब तक इंकम टैक्स डिपार्टमैंट ने शायद ही ऐसे केस दोबारा खोले हैं। बंद किए जाने वाली कंपनियों के लिए विभाग एन.ओ.सी. जारी करता है। यह उस दिन तक बकाया टैक्स के आधार पर जारी किया जाता है। एक सीनियर टैक्स अधिकारी ने बताया कि अगर डिपार्टमैंट गंभीरता से ऐसे मामलों की जांच करने लगे तो शायद ही कोई एन.ओ.सी. जारी हो पाए। हालांकि अगर उनकी नजर से किसी रकम का असैसमैंट रह जाता है तो उसके लिए पुराने रिकॉड्स को खोलना ठीक नहीं है, खासतौर पर तब जबकि उस कंपनी का वजूद न हो।

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