रियल एस्टेट में इस तरीके से खपाया जा रहा है काला धन, जांच शुरू

punjabkesari.in Monday, Nov 27, 2017 - 12:54 PM (IST)

नई दिल्लीः नोटबंदी के बाद रियल एस्टेट में कैश के जरिए काले धन का आना रुका है मगर बिटक्वाइन के जरिए रियल एस्टेट में काला धन खपाया जा रहा है। सरकार को शक है कि इसमें रियल एस्टेट के कई लोग शामिल हैं। रियल एस्टेट में कई विक्रेता अब प्रॉपर्टी के सौदों के लिए क्रिप्टो सिक्के यानी बिटक्वाइन का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें विशेष रूप से आप्रवासी भारतीयों का सहारा लिया जा रहा है। वे इन पैसों को विदेश में स्थानांतरित कर रहे हैं। इसके अलावा कई विक्रेता कैश के बदले बिटक्वाइन को स्वीकार भी कर रहे हैं। यह आसान है और दैनिक आधार पर इनकी कीमत तय होती है।

अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार रियल एस्टेट में बिटक्वाइन से ब्लैक मनी के इस्तेमाल की जांच शुरू हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) ने इसकी जांच शुरू कर दी है। वित्त मंत्रालय को भेजी आरंभिक रिपोर्ट में ई.डी. ने कहा कि बिटक्वाइन के इस्तेमाल से अर्थव्यवस्था पर काफी बुरा असर होगा। साथ ही बिटक्वाइन से ब्लैक मनी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ेगा। वहीं मौजूदा करंसी के लिए बिटक्वाइन गंभीर खतरा है। बिटक्वाइन का इस्तेमाल फेमा कानून का भी उल्लंघन होगा। ई.डी. ने बिटक्वाइन का इस्तेमाल करने वाले अहमदाबाद के 2 ठिकानों पर छापे मारे हैं।

फ्रेमवर्क  की तैयारी
सरकार का कहना है कि बिटक्वाइन को लेकर जल्द ही फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है। सरकार ने बिटक्वाइन की ब्लॉक चेन टैक्नोलॉजी को समझने के लिए आई.टी. कंपनियों के साथ बैठक भी की है। गौरतलब है कि सुरक्षा के लिए ब्लॉक चेन टैक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। इस मुद्दे पर ये कंपनियां सरकार को प्रैजैंटेशन देंगी। इन चारों कंपनियों का ब्लॉक चेन टैक्नोलॉजी में भारी निवेश है। वैसे बिटक्वाइन जैसी वर्चुअल करंसी पर बनी कमेटी ने करंसी की सख्त निगरानी की सिफारिश की है। दिनेश शर्मा कमेटी ने सिफारिश की है कि आर.बी.आई., सेबी, इन्कम टैक्स, सी.बी.ई.सी. और फाइनैंशियल इंटैलीजैंस यूनिट के अधिकारियों को मिलाकर एक टास्क फोर्स बनाया जाए। यह टास्क फोर्स ग्राहकों के हितों की रक्षा करेगी। फाइनैंशियल इंटैलीजैंस यूनिट वर्चुअल करंसी के दुरुपयोग पर नजर रखेगी।

मिलेगा कानूनी दर्जा
सूत्रों का कहना है कि बिटक्वाइन जैसी वर्चुअल करंसी को कानूनी दर्जा मिल सकता है। आर.बी.आई. वर्चुअल करंसी में निवेश और लेन-देन पर विस्तृत गाइडलाइन तैयार करेगा। वर्चुअल करंसी को रिजर्व बैंक एक्ट 1934 के दायरे में लाया जा सकता है। सरकार की वर्चुअल करंसी में निवेश से होने वाली आमदनी पर टैक्स वसूलने की योजना है। विदेश में पैसे के ट्रांसफर पर फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमैंट एक्ट के नियम लागू हो सकते हैं। वर्चुअल करंसी में निवेश करने पर नो यूअर कस्टमर (के.वाई.सी.) की शर्तें तैयार की जाएंगी। वर्चुअल करंसी के मुद्दे पर बनाई गई कमेटी की बैठक में इन तमाम प्रस्तावों पर विचार हुआ है।


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