बजट में राहत नहीं मिलने पर बड़े उद्योगों को मायूसी

Saturday, Feb 03, 2018 - 10:05 AM (IST)

नई दिल्लीः कंपनी कर में राहत को 250 करोड़ रुपए तक का कारोबार करने वाली सूक्ष्म, लघु एवं मझौले (एमएसएमई) उद्यमों तक सीमित रखने को लेकर कंपनियों ने असंतोष जताया है। इन कंपनियों का कहना है कि सरकार ने कंपनी कर की दर को कम करने का अपना वादा बजट में नहीं निभाया है। सरकार ने इस दिशा में जो आधा अधूरा कदम उठाया है उससे भारत की प्रतिस्पर्धा क्षमता कमजोर पड़ेगी।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में पेश 2018-19 के आम बजट में 250 करोड़ रुपए तक का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए कर की दर घटाकर 25 प्रतिशत कर दी। लेकिन इससे अधिक कारोबार करने वाली बड़ी कंपनियों के लिये इसे 30 प्रतिशत ही रखा है। गोदरेज समूह के चेयरमैन आदि गोदरेज ने कहा, ‘‘हालांकि 99 प्रतिशत एमएसएमई करों का भुगतान करते हैं, लेकिन वह जो कर देते हैं वह देश में दिए जाने कुल कंपनी कर का मात्र एक प्रतिशत ही होता है।’’ उन्होंने कहा कि इस पहल से भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा में पीछे रह जाएगा। अमेरिका, ब्रिटेन और चीन ने अपने यहां स्वस्थ्य निवेश माहौल बनाने के लिए कंपनी कर में कमी की है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015-16 के अपने बजट में कार्पोरेट कर को चरणबद्ध तरीके से चार साल में 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत पर लाने की घोषणा की थी। शापर्स स्टॉप लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और ग्राहक देखरेख विभाग के एसोसियेट गोविंद श्रीखंडे ने कहा, ‘‘हम कारोबारी बड़ी कंपनियों के लिए कार्पोरेट कर में कमी आने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’’ 

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