निर्यातकों को केंद्र सरकार का बड़ा तोहफा, 50000 करोड़ रुपए की नई योजना की घोषणा

Saturday, Sep 14, 2019 - 04:54 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने आज निर्यातकों को 50,000 करोड़ रुपए का पैकेज देने का ऐलान किया। निर्यातकों को अब मर्चेनडाइज एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम (MEIS) के तहत मिलने वाले इंसेंटिव की जगह रेमिशन ऑफ ड्यूटी और टैक्स ऑन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट (RoDTEP) के तहत कई प्रकार की आर्थिक मदद मिलेगी। नई स्कीम आगामी एक जनवरी, 2020 से लागू होगी।

WTO के नियमों के मुताबिक होगी नई स्कीम
वित्त मंत्री सीतारमण प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि नए प्रकार के इंसेंटिव से सरकार पर 50,000 करोड़ रुपए का भार पड़ेगा। उन्होंने बताया कि नई स्कीम का लाभ सभी प्रकार की वस्तुओं के निर्यात एवं सेवा निर्यात को मिलेगा। इस साल 31 दिसंबर तक एमईआईएस स्कीम मान्य रहेगी क्योंकि निर्यातक इस स्कीम के हिसाब से आर्डर ले चुके हैं। सबसे बड़ी बात है कि नई स्कीम विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के मुताबिक होगी। अब सरकार की तरफ से निर्यातकों को दिए जाने वाले इंसेंटिव को डब्ल्यूटीओ में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। साथ ही हैंडीक्राफ्ट्स के ई-निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक शिल्पकारों को निर्यात के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। शिल्पकारों को ई-प्लेटफार्म पर पंजीकृत किया जाएगा।

निर्यातकों को आसानी से मिलेगी रिफंड
वित्त मंत्री ने बताया कि इस माह से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के रिफंड की व्यवस्था पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक हो जाएगी। यह व्यवस्था सितंबर से ही लागू होगी। इससे निर्यातकों को आसानी से रिफंड मिल सकेगा और उन्हें वर्किंग कैपिटल की दिक्कत नहीं होगी। उन्होंने बताया कि निर्यातकों को 36,000 करोड़ से 68,000 करोड़ रुपए कर्ज के रूप में दिए जाएंगे। निर्यात सेक्टर को मिलने वाले कर्ज की विस्तृत जानकारी आरबीआई जारी करेगा। एक डैश बोर्ड भी होगा जिसे देखकर हर कोई रियल टाइम जानकारी ले सकेगा।

बंदरगाहों से सामान भेजने में लगेगा कम समय
सीतारमण ने बताया कि हमारे देश के बंदरगाहों से निर्यात के लिए सामान को भेजने में दुनिया के अन्य बंदरगाहों के मुकाबले ज्यादा है। उन्होंने बताया कि बोस्टन बंदरगाह पर सामान को भेजने में सिर्फ 0.55 दिन लगते हैं, शंघाई के लिए यह समय 0.83 दिन है जबकि भारत के कोच्चि से सामान को भेजने में 1.10 दिन लगते हैं। उन्होंने बताया कि अगले तीन महीने में भारत के बंदरगाहों को भी वैश्विक स्तर का बना दिया जाएगा। दिसंबर, 2019 से भारत के बंदरगाहों से भी सामान भेजने में कम समय लगेंगे।

 

Supreet Kaur

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