रूस-यूक्रेन युद्ध से खेती पर बड़ा संकट

Sunday, Mar 06, 2022 - 11:10 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद पैट्रोलियम पदार्थों और खाद्य तेलों की महंगाई बढ़ने के आकलन लगाए जा रहे हैं लेकिन इस युद्ध का सबसे बड़ा असर आने वाले दिनों में देश के कृषि क्षेत्र पर पड़ने वाला है। अगले महीने देश के बड़े हिस्से में गेहूं की कटाई शुरू होगी और इसके बाद मई महीने में ही खेतों में नई बुआई होनी है लेकिन इस युद्ध के प्रभाव से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में यूरिया, डी.ए.पी. और एम.ओ.पी. की कीमतें आसमान में पहुंच गई हैं। ये तीनों प्रकार की खादें फसलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा खेतों में इस्तेमाल होने वाले डीजल और बीजों की कीमतों को भी आग लग रही है। इससे किसान का इनपुट कॉस्ट बढ़ेगा और किसानी पर बड़ा संकट आने की आशंका खड़ी हो गई है।

यूरिया, डी.ए.पी. और एम.ओ.पी. के दाम बढ़े 
दरअसल रूस म्यूरेट आफ पोटाश (एम.ओ.पी.) का दूसरा बड़ा निर्यातक है, जबकि इसका पड़ोसी बेलारूस एम.ओ.पी. का तीसरा बड़ा निर्यातक है। यू.एस.डी.ए. के आंकड़ों के मुताबिक 2020 में रूस ने 13.8 मिलियन टन एम.ओ.पी. का निर्यात किया था जबकि बेलारूस ने 12.2 मिलियन टन का एम.ओ.पी. का निर्यात किया। इस मामले में कनाडा पहले नंबर पर है और 2020 में कनाडा का एम.ओ.पी. का निर्यात 22 मिलियन टन रहा है।

रूस और बेलारूस पर लग रही अंतर्राष्ट्रीय पाबंदियों व काला और एजव समुद्र में कारोबारी शिपमैंट के रुकने के कारण दुनिया भर में एम.ओ.पी. की आपूर्ति रुकी है जिसका असर इसकी कीमतों के साथ यूरिया और डी.ए.पी. की कीमतों पर भी पड़ रहा है। पिछले एक महीने में यूरिया की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें 50 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं जबकि एम.ओ. पी. की कीमतों में 35 और डी.ए.पी. की कीमतों में 6 फीसदी की तेजी आई है।

सूरजमुखी के बीज की ब्लैक शुरू
यूक्रेन और रूस सूरजमुखी के तेल के सबसे बड़े उत्पादक देश हैं। वर्ष 2021-22 में रूस ने 6.65 मिलियन टन और यूक्रेन ने 3.8 मिलियन टन सूरजमुखी का तेल निर्यात किया है। इसके साथ दोनों देश बड़े पैमाने पर सूरजमुखी के बीज का भी निर्यात करते हैं।

दोनों देशों के मध्य चल रही लड़ाई के कारण सूरजमुखी के तेल के साथ बीज की आपूर्ति भी बाधित हुई है। लिहाजा बाजार में सूरजमुखी के बीज की ब्लैक शुरू हो गई है। भारत में करीब 23 लाख हेक्टेयर रकबे में सूरजमुखी की खेती होती है और देश में इसकी बुआई का सीजन जनवरी से जून के मध्य होता है लेकिन इस सीजन में किसानों को सूरजमुखी का बीज दोगुने भाव पर मिल रहा है जिससे उनकी लागत बढ़ रही है।

खाद्य महंगाई का बढ़ना तय
सामान्य तौर पर देश में खाद्य पदार्थों की कीमतों में इतनी तेजी नहीं आती और गेहूं, चावल व अन्य खाद्य पदार्थों के दाम तेजी से नहीं बढ़ते लेकिन रूसयूक्रेन युद्ध के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतें भी बढ़ी हैं जिससे भारत के गेहूं निर्यातक भी बड़ी मात्रा में गेहूं का निर्यात कर रहे हैं। लिहाजा आने वाले दिनों में गेहूं भी स्थानीय बाजार में महंगा होगा और किसान की लागत बढ़ने से चावल के दाम में भी तेजी आएगी। इसके साथ ही सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति बाधित होने और पाम तेल की कीमतों में आ रही तेजी से खाद्य तेल भी महंगे होंगे।

डीजल के बढ़े दाम से किसान बेहाल
अंतर्राष्ट्रीयबाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने के कारण पैट्रोलियम कंपनियां लगातार डीजलके दाम बढ़ा रही है। देश में डीजल का इस्तेमाल खेतों में सिंचाई के लिए मोटर चलाने के अलावा खेतकी जुताई और फसल को मंडी तक पहुंचाने के काम में किया जाता है। पिछले साल फरवरी में देश में डीजल का औसत दाम 76 रुपए प्रति लीटर था और जो अब बढ़ कर 86 रुपए प्रति लीटर हो चुका है और अभी इसके दाम में और तेजी आने की आशंका है। इससे भी किसान की लागत बढ़ेगी।
 

jyoti choudhary

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