बड़ी कम्पनियों ने 45 प्रतिशत तक घटाई नौकरियां

Tuesday, Oct 24, 2017 - 11:51 AM (IST)

मुम्बई: देश की बड़ी कम्पनियों में नई भॢतयों की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ी है। 2016-17 में भारत की शीर्ष कम्पनियों में शुद्ध नए कर्मचारियों की संख्या घटकर 66,000 रही जबकि पिछले साल इनकी संख्या 1,23,000 थी। यानी कि बड़ी कम्पनियों ने 45 प्रतिशत नौकरियां घटा दी हैं। वित्त वर्ष 2017 के अंत में बी.एस.ई. 500 सूचकांक में शामिल 241 कम्पनियों में कुल स्थायी कर्मचारियों की संख्या 32.5 लाख रही जो वित्त वर्ष 2016 के अंत में 31.9 लाख थी। बी.एस.ई. 500 की अन्य कम्पनियों के कर्मचारियों की संख्या के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

वित्त वर्ष 2016-17 में टाटा कंसल्टैंसी सर्विसेज (टी.सी.एस.), टैक महिंद्रा, आई.सी.आई.सी.आई. बैंक और एक्सिस बैंक सबसे बड़े नियोक्ता रहे। हमने जिन कम्पनियों का विश्लेषण किया उनमें 241 में से 136 कम्पनियों ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में उनके कर्मचारियों की संख्या उससे पिछले साल जितनी ही बढ़ी है। इनमें से करीब एक-चौथाई कम्पनियों (32 कम्पनियां) में कर्मचारियों की संख्या करीब 10 प्रतिशत या उससे अधिक बढ़ी। टी.सी.एस. ने सबसे ज्यादा 33,000 लोगों को नौकरी पर रखा और इसके कुल कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 3,87,000 हो गई। इसके बाद टैक महिंद्रा के कर्मचारियों की संख्या 12,500 बढ़कर 1,18,000 हो गई। आई.सी.आई.सी.आई. बैंक ने इस दौरान 9,000 नई भर्तियां कीं, वहीं एक्सिस बैंक ने 7,000 नए कर्मचारी जोड़े।

कुल कर्मचारियों के प्रतिशत के लिहाज से देखें तो कर्मचारियों का सबसे ज्यादा इजाफा गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियां जैसे चोलामंडलम इन्वैस्टमैंट एंड फाइनांस, बजाज फाइनांस, कैपिटल फस्र्ट और एडलवाइस सर्विसेज में देखा गया। दूसरी ओर वित्त वर्ष 2017 में सबसे कम भर्तियां करने वाली कम्पनियों की सूची में विप्रो, सेल, एच.डी.एफ.सी. बैंक, एम.टी.एन.एल., बी.एच.ई.एल. और रिलायंस कम्युनिकेशन्स शीर्ष पर रहीं।  कम्पनियों द्वारा कम संख्या में रोजगार उपलब्ध करवाने के पीछे विश्लेषक अर्थव्यवस्था में नरमी को आम वजह मानते हैं।

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