नहीं दिया कार की मुरम्मत का बिल, अब भारती एक्सा जनरल इंश्योरैंस कम्पनी देगी हर्जाना

Monday, Apr 23, 2018 - 04:00 AM (IST)

गुरदासपुर: जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम ने याचिकाकत्र्ता को राहत देते हुए इंश्योरैंस कम्पनी को आदेश दिया गया है कि वह याचिकाकत्र्ता को कार की मुरम्मत पर आए पूरे खर्च तथा 5 हजार रुपए हर्जाना व 3 हजार रुपए अदालती खर्च 30 दिन में अदा करे। 

क्या है मामला
याचिकाकत्र्ता कुलदीप राज पुत्र पूर्ण चंद निवासी तारागढ़ तहसील व जिला पठानकोट ने फोरम समक्ष याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उसने नॉवल्टी हुंडई डल्होजी रोड, पठानकोट से हुंडई फ्लैंटरा कार 28-11-2016 को खरीदी थी। इस संबंधी कार को नंबर पी.बी.-35 वाई-9818 लगा कर नॉवलटी हुंडई ने भारती ए.एक्स.ए.जनरल इंश्योरैंस कम्पनी लि. से कार की इंश्योरैंस भी करवा दी, जिस संबंधी पॉलिसी नंबर एच.ए.एक्स./58361138 जारी की गई जो 28-11-2016 से 27-11-2017 तक थी। इसके लिए प्रीमियम भी याचिकाकत्र्ता ने अदा किया। कार के लिए पंजाब ग्रामीण बैंक पठानकोट से कर्जा लेना था। कार डीलर ने याचिकाकत्र्ता को कार भी सौंप दी। 

इसी बीच केन्द्र सरकार ने नोटबंदी आदेश जारी कर दिया तथा बैंक कार डीलर को चैक जारी नहीं कर सका, जिस कारण कार डीलर ने बैंक से भुगतान मिलने के बाद 5 दिसम्बर 2016 को कार का बिल उपभोक्ता को जारी किया परंतु 25-12-2016 को कार का एक्सीडैंट हो गया तथा इसकी जानकारी इंश्योरैंस कम्पनी को देकर कार हुंडई नॉवलटी पठानकोट वर्कशाप में मुरम्मत के लिए लगा दी गई, क्योंकि इंश्योरैंस कैशलैस थी। इंश्योरैंस कम्पनी ने सर्वेयर नियुक्त कर कार का सर्वे तो करवा लिया, पंरतु मुरम्मत का कई तरह के ऐतराज लगा कर कार डीलर को भुगतान करने से इंकार कर दिया, जिस पर याचिकाकत्र्ता को 1 लाख 17 हजार रुपए का मुरम्मत बिल का भुगतान कर कार प्राप्त करनी पड़ी। इंश्योरैंस कम्पनी का मुख्य ऐतराज यह था कि कार की इंश्योंरैंस तो  28-11-2016 को करवाई गई थी जबकि कार का बिक्री बिल 5-12-2016 को काटा गया, जिस कारण याचिकाकत्र्ता इंश्योरैंस क्लेम लेने का हकदार नहीं है। 

क्या फैसला सुनाया फोरम ने
इस याचिका की सुनवाई करते हुए जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम के प्रधान नवीन पुरी ने दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद पाया कि इस केस में याचिकाकत्र्ता का कहीं भी दोष नहीं है। जब इंश्योरैंस कम्पनी ने एक कार की इंश्योरैंस की तो तब उसने पूरे कागज प्राप्त क्यों नहीं किए। इंश्योरैंस कम्पनी केवल इस बात को लेकर इंश्योरैंस क्लेम देने से इंकार नहीं कर सकती कि कार का बिल बाद में काटा गया था। उन्होंने इंश्योरैंस कम्पनी को आदेश दिया कि वह सर्वे रिपोर्ट के आधार पर याचिकाकत्र्ता को इंश्योरैंस क्लेम दे तथा साथ में याचिकाकत्र्ता को जो परेशानी का सामना करना पड़ा, उसके लिए 5 हजार रुपए हर्जाना तथा 3 हजार रुपए अदालती खर्च 30 दिन में अदा करे। नहीं तो सारी राशि 9 प्रतिशत ब्याज दर से अदा करनी होगी।

Pardeep

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