बेनामी कानूनः 87 को नोटिस, करोड़ों की बैंक डिपॉजिट कुर्क

Tuesday, Jan 31, 2017 - 11:26 AM (IST)

नई दिल्ली: नोटबंदी के पश्चात कालाधन धारकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू करने वाले आयकर विभाग ने अपना शिकंजा कसते हुआ कहा  कि उसने प्रभाव में आए नई बेनामी विनिमय कानून के तहत देश भर में 42 मामलों में 87 नोटिस जारी किए हैं और करोड़ों की बैंक डिपॉजिट को कुर्क कर दिया है। 

इस कानून में भारी जुर्माना और अधिकतम 7 साल के सश्रम कारावास के प्रावधान हैं। सरकार की पिछले साल 8 नवम्बर की नोटबंदी के बाद विभाग ने सार्वजनिक इश्तिहार दिया था और यह कहते हुए लोगों को किसी अन्य के बैंक खाते में बिना हिसाब-किताब वाले पुराने नोट जमा करने के विरुद्ध चेतावनी दी थी कि उनकी इस हरकत पर बेनामी संपत्ति विनिमय अधिनियम, 1988 के तहत आपराधिक आरोप लगेंगे।  

यह कानून चल एवं अचल संपत्ति पर लागू है और 1 नवम्बर, 2016 को प्रभाव में आया। अधिकारियों ने एक विश्लेषण रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि गहन जांच के बाद आयकर विभाग ने उक्त कदम उठाया है।

सम्मन जारी कर चुका है विभाग
अधिकारियों ने कहा कि विभाग बेनामी विनिमय अधिनियम के तहत कई सम्मन जारी कर चुका है तथा वह ऐसे और सम्मन जारी करने में जुटा है। उन्होंने कहा कि बेनामी विनिमय अधिनियम के कड़े प्रावधान लगाने का फैसला उन गंभीर मामलों के विश्लेषण के बाद किया गया जहां अनियमितताएं जबरदस्त थीं और बेनामी खातों या जन-धन खातों अथवा निष्क्रिय खातों में संदिग्ध नकदी जमा की गई। 
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अधिकारियों ने बताया कि बेनामी कानून विभाग को जमाकत्र्ता और उस व्यक्ति, जिसका अवैध पैसा उसने अपने खातों में जमा किया है, की संपत्ति जब्त करने एवं उस पर मुकद्दमा चलाने का अधिकार प्रदान करता है। उन्होंने कहा, ‘‘इस कानून के तहत जो व्यक्ति बैंक खाते में पुराना नोट जमा करवाता है उसे लाभार्थी स्वामी समझा जाएगा तथा जिसके खाते में पुराना नोट जमा करवाया गया, उसे बेनामीदार माना जाएगा।’’

ज्यूलर्स और बिल्डर्स पर भी टेढ़ी नजर
नोटबंदी के बाद सरकार का कालेधन पर हमला लगातार जारी है। मुम्बई के एक ज्यूलर ने दिसम्बर में अपने बैंक अकाऊंट में 100 करोड़ रुपए की रकम डिपॉजिट की थी। आयकर (आई.टी.) विभाग ने उन्हें हाल में बुलावा भेजकर उन सब लोगों की पैन डिटेल मांगी हैं जिन्होंने 8 नवम्बर को नोटबंदी की घोषणा के बाद उनसे ज्यूलरी खरीदी थी। दिल्ली के एक रियल एस्टेट डिवैल्पर से आयकर विभाग ने जवाब-तलब किया है। उसने 30 दिसम्बर को अपने अकाऊंट में 25 करोड़ रुपए जमा करवाए थे। डिवैल्पर ने आयकर विभाग को बताया कि वह पैसा ‘कैश ऑन हैंड’ था और उसका जिक्र उसके बहीखाते में किया गया है। इस पर आई.टी. डिपार्टमैंट उसके पिछले कुछ वर्षों के बहीखातों की स्क्रूटनी करने का प्लान बना रहा है।

आने वाले महीनों में और भेजे जाएंगे टैक्स नोटिस
नोटबंदी के बाद ब्लैक मनी बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत आयकर विभाग की जांच के दायरे में रियल एस्टेट डिवैल्पर्स, ज्यूलर्स और लग्जरी गुड्स सेलर्स आ गए हैं। 

मामले के जानकार आई.टी. ऑफिसर्स और कन्सल्टैंट्स ने बताया कि बहुत से लोगों को डिपार्टमैंट की तरफ से बुलाया जा रहा है। मुमकिन है कि आने वाले महीनों में उनको टैक्स नोटिस भी भेजा जाए। सरकार उन लोगों के पीछे पड़ सकती है जिन्होंने इस साल मनी लांड्रिंग करने की कोशिश की है। आमतौर पर टैक्स डिपार्टमैंट 2-3 साल पहले के मामलों में टैक्स नोटिस भेजता है। एक सूत्र ने बताया कि असैसमैंट ईयर 2016-17 के लिए नोटिस 2017 में ही भेजे जा सके। इस संबंध में नियमों में संशोधन के लिए 3 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है।

फोकस एक करोड़ या ज्यादा की रकम जमा करवाने पर
सूत्रों के मुताबिक फोकस सिर्फ उन अकाऊंट्स पर होगा, जहां एक करोड़ या ज्यादा की रकम जमा करवाई गई है। ऐसे लगभग 5000 मामले हैं जिनमें कम से कम आधे टैक्स के दायरे में आ सकते हैं। रियल एस्टेट डिवैल्पर्स ने कथित तौर पर कालेधन को कैश ऑन हैंड साबित करने की कोशिश की है। एक टैक्स एक्सपर्ट ने कहा कि ज्यादातर रियल एस्टेट डिवैल्पर्स के पास कैश ऑन हैंड के तौर पर मोटी रकम होती है। बहुत से डिवैल्पर्स ने बैंक अकाऊंट में मोटी रकम जमा करवाई है और दावा किया है कि वह कैश ऑन हैंड है जबकि असलियत में वह ब्लैक मनी है। आयकर विभाग डिवैल्पर्स से अपने बहीखाते दिखाने के लिए कह रहा है और उनके खर्चों का मिलान पहले के वर्षों के डाटा से कर रहा है।
 

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