बीज उत्पादन के लिए किसानों से समझौता हो: रूपाला

Saturday, Jan 28, 2017 - 02:29 PM (IST)

नई दिल्लीः कृषि राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला ने देश में बीजों की कमी को दूर करने के लिए बीज उत्पादक क्षेत्रों और किसानों की पहचान करने तथा उनके साथ समझौता करने की आवश्यकता पर बल दिया है ताकि स्थानीय स्तर पर ही बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। श्री रूपाला ने इंडियन सोसाइटी आफ सीड टेक्नोलॉजी की ओर से आज यहां आयोजित 14 वें राष्ट्रीय बीज सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण बीज उत्पादन के लिए नए क्षेत्रों की पहचान करने की जरूरत है और बीज उत्पादन के इच्छुक किसानों की पहचान करने की भी जरूरत है ताकि वे खेती के साथ ही विभिन्न किस्मों के उन्नत बीज तैयार कर सके। उन्होंने कहा कि निश्चित मात्रा में हर साल बेहतरीन किस्म के बीजों के उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए किसानों के साथ समझौते किए जाने चाहिए। बीज उत्पादन से फसलों की तुलना में किसानों की आय में वृद्धि होगी तथा स्थानीय स्तर पर ही बीज उपलब्ध हो सकेगा।

किसानों में जागरूकता पैदा की जाए
कृषि राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार ने कृषि विज्ञान केन्द्रों में सीड हब बनाने की योजना शुरू कर दी है और पर्याप्त मात्रा में बीजों के उत्पादन के लिए जितनी आर्थिक मदद की जरूरत होगी उसे दी जाएगी। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण बीजों को लेकर किसानों में जागरूकता पैदा करने पर जोर देते हुए कहा कि वे जानकारी के अभाव में घटिया किस्म के बीज खरीद लेते हैं और ऐसे बीजों में अंकुरण नहीं होता है या उसमें फसल नहीं लगते हैं। ऐसे में किसानों की एक फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है उन्हें भारी नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि किसानों के होने वाले नुकसान की भरपाई को लेकर अब तक न तो कोई कानून है और न ही फर्जी कंपनियों को कडे दंड देने का कोई प्रावधान है । इस संबंध में एक प्रभावशाली कानून बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कई बार किसी कानून की जरूरत नहीं होने पर भी मिनटों में बन जाते हैं जबकि कई बार जरूरी कानूनों के बनने में 10-10 साल का समय लग जाता है। उन्होंने बीज अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में निजी कंपनियों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ मिल कर संयुक्त रूप से काम करने का अनुरोध करते हुए कहा कि निजी क्षेत्र को कोई समस्या है तो उसे सरकार को बताना चाहिए।

कीटनाशकों का प्रयोग हो कम
सोसाइटी के संरक्षक और जाने-माने कृषि वैज्ञानिक आर एस पुरोधा ने कहा कि दुनिया अनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों का फायदा ले रही है और अब समय आ गया है कि भारतीय किसानों को भी इसका लाभ दिया जाना चाहिए। इन फसलों की खेती में कीटनाशकों का प्रयोग कम होता है और पैदावार भरपूर होती है जिससे किसानों की आय में भारी वृद्धि होती है। तत्काल अनुवांशिक रूप से संवद्धित मक्का और सरसों की खेती शुरू किए जाने की जरूरत है। डा. पुरोधा ने कहा कि बीटी कपास की खेती से किसानों को भारी फायदा हुआ है और उस पर कीटों का प्रकोप कम हुआ है जिसके कारण कीटनाशकों पर खर्च की जाने वाली लागत में भारी कमी आई है। उन्होंने कहा कि बाजरे की भरपूर पैदावार देने वाले हाईब्रीड बाजार में उपलब्ध है लेकिन किसान जानकारी के अभाव में इसकी संकर किस्मों को ही लगाते हैं। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा के लिए अच्छे बीज का होना बहुत जरूरी है और इससे किसानों का फसल जोखिम 30 प्रतिशत तक कम हो जाता है।

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