बैंकों ने कम करके दिखाया एनपीए : कैग

Sunday, Jul 30, 2017 - 05:18 PM (IST)

नई दिल्ली: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक बैंकों ने पिछले वित्त वर्ष में अपनी गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) कम करके दिखाई जिससे वे मुनाफा बढ़ाकर या नुकसान घटाकर दिखाने में कामयाब रहे।संसद में पिछले सप्ताह पेश रिपोर्ट में कहा गया है। ऐसे उदाहरण सामने आए हैं कि बैंकों ने जो एनपीए दिखाया है और रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जो एनपीए पाया है उनमें काफी अंतर है। उसने 17 सरकारी बैंकों का ऑडिट किया है जिसमें 12 सरकारी बैंकों के आँकड़े रिपोर्ट में पेश किए हैं। शेष पांच बैंकों के बारे में कहा गया है कि उनके लेखा में भी खामियाँ थीं, लेकिन उनका अनुपात कम होने के कारण आरबीआई के नियमों के अनुसार उन्हें इसके बारे में वार्षिक रिपोर्ट में बताने से छूट मिल गई।

कैग ने कहा है, ऑडिट में सरकारी बैंकों के वित्त वर्ष 2016-17 की वार्षिक रिपोर्टों की समीक्षा की गयी और पाया गया कि कुछ सरकारी बैंकों ने एनपीए कम करके दिखाया है। इससे इन बैंकों ने कम प्रावधान किया है और शुद्ध मुनाफा बढ़ाकर दिखाया है। रिपोर्ट के अनुसार, बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने एनपीए 3,033.60 करोड़ रुपए कम करके दिखाये और इस प्रकार इस मद में 505.20 करोड़ रुपये का कम प्रावधान किया।

इसी प्रकार सेंट्रल बैंक ने एनपीए 2097.15 करोड़ रुपए, कॉर्पोरेशन बैंक ने 1,953.80 करोड़ रुपये, ऑरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने 1349.70 करोड़ रुपए और इलाहाबाद बैंक ने 973 करोड़ रुपए कम करके दिखाये। इनके अलावा यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, सिंडिकेट बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, देना बैंक, विजया बैंक और पंजाब नेशनल बैंक ने भी अपना एनपीए घटाकर दिखाया है। 

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