बैंकों ने हायर किए फरेंसिक एक्‍सपर्ट्स, पकड़ में आएगा जाली नोटों का खेल

Monday, Mar 13, 2017 - 10:16 AM (IST)

नई दिल्लीः नोटबंदी के बाद बैंकों में कितनी राशि जमा हुई है यह पता लगाने के लिए बैंकों ने फरेंसिक एक्सपर्ट्स को हायर किया है। एक्सपर्ट्स यह भी पता लगाएंगे कि जाली नोट जमा करवाने में किस कर्मचारी का हाथ था। एक जांचकर्ता के अनुसार एक मामले में ऐसे एंप्लॉयी का सीधे तौर पर हाथ होने की बात का खुलासा हुआ है, जिसने एक ग्राहक को जाली करंसी नोट जमा कराने में मदद की थी।

सूत्र ने बताया, 'पिछले साल दिसंबर में बैंक एंप्लॉयी ने पहले 500 रुपए के असली करंसी नोट वाला बंडल निकाला और एक ग्राहक को दिया। ग्राहक ने उसी मूल्यवर्ग वाले नोट में उतनी ही रकम लौटा दी जो दूसरे ग्राहक से लिए गए कैश के बंडल में डाल दी गई। बाद में कस्टमर ने ओरिजनल, लेकिन पुरानी करंसी वाले नोट अपने और अपने परिजन के बैंक खातों में डिपॉजिट किए।'

दूसरे जांचकर्ता ने बताया कि इस लेन-देन के निशान की छानबीन की जा रही है। उन्होंने कहा, 'बैंकों ने डिपॉजिट रेंज और ब्रांच के हिसाब से अपने पास जमा सभी कैश डिपॉजिट को बैच नंबर दिए हैं। कुछ इंटरनल बैकवॉर्ड ट्रैकिंग हो सकती है और यह जाली करंसी नोट के सोर्स का पता लगाने का तरीका है।' 8 नवंबर को हुई नोटबंदी के बाद नोट जमा करने और बदलने के लिए ब्रांच में लगी लोगों की भीड़ में जाली नोटों को पकड़ना बहुत मुश्किल था। ब्लैक मनी और जाली नोट को सिस्टम से निकालने और भ्रष्टाचार को खत्म करने के मकसद से किए गए नोटबंदी के चलते सर्कुलेशन में बनी 86 पर्सेंट करंसी की वैल्यू एक झटके में जीरो हो गई।

एक सरकारी बैंक के एग्जिक्युटिव ने कहा, 'हमने फरेंसिक ऑडिटर्स हायर किए हैं। हमारे ज्यादातर ग्रामीण और कुछ मेट्रो ब्रांच में फर्जी नोट पकड़ने की मशीनें नहीं हैं। लोगों की भीड़ इतनी ज्यादा थी कि हमारे टेलर के पास ब्रांच में भारी भीड़ को हैंडल करने के अलावा कोई और एक्टिविटी करने का वक्त नहीं था।'
 

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