बैंकों ने फ्रॉड के लिए सिस्टम पर फोड़ा ठीकरा

Monday, Jul 09, 2018 - 09:00 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः पिछले 5 सालों के दौरान सरकारी बैंकों में फाइनैंशियल फ्रॉड में 20 प्रतिशत की बढ़ौतरी हुई है। यही कारण है कि बैंकों का एन.पी.ए. यानी बैड लोन बढ़कर 9 लाख करोड़ पहुंच गया है। बैंकों ने सिस्टम पर ठीकरा फोड़ते हुए माना कि टैक्नीकल सिस्टम अपग्रेड नहीं होने के कारण फाइनैंशियल फ्रॉड बढ़ा है। बैंकों ने यह बात संसद की वित्तीय मामलों की स्थायी समिति के सामने कबूली है। इस समिति के अध्यक्ष कांग्रेस नेता एम. वीरप्पा मोइली हैं।

गौरतलब है कि संसद की वित्तीय मामलों की स्थायी समिति ने जून के आखिरी हफ्ते में 11 सरकारी बैंकों के साथ एन.पी.ए. को लेकर मीटिंग की थी। इसमें समिति ने बैंकों से पूछा था कि फाइनैंशियल फ्रॉड कितना बढ़ा और बैंक इसे रोकने में नाकाम क्यों रहे। गौरतलब है कि माल्या और नीरव मोदी प्रकरण के बाद सरकारी बैंकों के वर्किंग सिस्टम पर सवाल खड़े हो गए हैं। पी.एन.बी. फ्रॉड की जांच में यह सामने आया कि बैंक के टैक्नीकल सिस्टम को अपग्रेड करने की कोशिश नहीं की गई थी। 

स्टाफ की कमी 
सूत्रों के अनुसार बैंकों ने समिति को बताया कि उनके पास जो डाटा है, उसके अनुसार पिछले 5 सालों में फाइनैंशियल फ्रॉड में 18 से 20 प्रतिशत की बढ़ौतरी हुई है। बैंकों ने यह भी माना कि एन.पी.ए. बढ़ने की प्रमुख वजह वसूली स्टाफ की कमी भी है। बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों पर बोझ ज्यादा है। हालांकि बैंकों ने बताया कि अब सिस्टम अपग्रेड हो रहा है और एन.पी.ए. वसूली की प्रक्रिया भी तेज कर दी गई है। जिन बैंकों ने मीटिंग में हिस्सा लिया, उनमें इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ  इंडिया, सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, देना बैंक, आई.डी.बी.आई. बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, यूको बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ  कॉमर्स, बैंक ऑफ  महाराष्ट्र और यूनाइटेड बैंक शामिल थे।

संसदीय समिति ने मांगी अपग्रेड रिपोर्ट 
वित्तीय मामलों की समिति ने इन बैंकों को आदेश दिया है कि वे समिति को सौंपने वाली रिपोर्ट में वर्किंग सिस्टम सुधारने के अलावा ब्यौरा भी दें कि फाइनैंशियल फ्रॉड रोकने के लिए क्या कदम उठाए और कितनी सफलता मिली। रिपोर्ट में फाइनैंशियल फ्रॉड के आंकड़े भी इन बैंकों को देने होंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि फ्रॉड करने वालों के खिलाफ  सरकार ने क्या कदम उठाए और आरोपी अब कहां हैं। कहीं वे विदेश तो नहीं चले गए।

Supreet Kaur

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