SEL के खिलाफ दर्ज हुई दीवालियापन की प्रक्रिया, डिफॉल्टरों की सूची में शामिल

Thursday, Oct 26, 2017 - 10:04 AM (IST)

नई दिल्लीः एक वस्त्र निर्माता एस.ई.एल. मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड रिजर्व बैंक ऑफ  इंडिया (आर.बी.आई.) द्वारा जारी की गई कार्पोरेट डिफॉल्टर की दूसरी सूची में पहली कंपनी बन गई है जिसके खिलाफ  दीवालियापन की प्रक्रिया दर्ज की गई है। इस मामले की जानकारी 2 लोगों को है। लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि लीड बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एस.बी.आई.) ने पिछले सप्ताह चंडीगढ़ राष्ट्रीय कंपनी कानून ट्रिब्यूनल को इस संबंधी बताया। बैंक ने ग्रांट थॉर्नटन को अंतरिम प्रस्ताव पेशेवर के रूप में और शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी को अपने कानूनी सलाहकार के रूप में नामित किया। एस.ई.एल. मैन्युफैक्चरिंग को भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं मिला। ग्रांट थॉर्नटन और शार्दुल अमरचंद मंगलदास के लिए लोगों ने कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

SEL पर कर्ज था 4275 करोड़ रुपए 
एस.बी.आई. के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यह बैंक की नीति है कि वह व्यक्तिगत खातों पर टिप्पणी न करे।’’ एस.बी.आई. के मार्च, 2017 के अंत में एस.ई.एल. मैन्युफैक्चरिंग का कर्ज 4275 करोड़ रुपए था। यह मामला भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पहचाने जाने वाली 29 कंपनियों में से एक है जो 13 दिसंबर से पहले किसी भी योजना के माध्यम से सुलझाया जा सकता है, असफल रहने पर 31 दिसम्बर तक राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एन.सी.एल.ए.टी.) में आई.बी.सी. के तहत इन कंपनियों के खिलाफ  मामला दर्ज किया जाना चाहिए। सितम्बर में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और सिंगापुर स्थित डी.बी.एस. बैंक लिमिटेड सहित विदेशी बैंकों ने खाद्य तेल निर्माता रुचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ दीवालियापन कार्रवाई की शुरूआत की जो दूसरी सूची में एक अन्य डिफॉल्टर है। ट्राईगल के सांझेदार साइटेश मुखर्जी ने कहा कि दूसरी सूची से अधिक मामलों की अपेक्षा करें। अलग-अलग हितधारकों के लिए एक्सपोजर की मात्रा अधिक कमजोर है।

कंपनी कर रही है वित्तीय कठिनाइयों का सामना
लुधियाना स्थित एस.ई.एल. मैन्युफैक्चरिंग वर्षों से किए गए आक्रामक विस्तार की वजह से वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रही है। उच्च ऋण और नकदी प्रवाह में एक बेमेल ने कंपनी ऋण पुनर्गठन (सी.डी.आर.) तंत्र के तहत पुनर्गठन के लिए उधारदाताओं से संपर्क  करने के लिए मजबूर किया। सी.डी.आर. पैकेज के तहत परिकल्पना की गई और स्वीकृत क्रैडिट सुविधाओं को पूरी तरह से उधारदाताओं द्वारा नहीं छोड़ा गया था जिसके परिणामस्वरूप विनिर्माण सुविधाओं का जहां तक हो सका अधिक से अधिक उपयोग हुआ और कम्पनी अपनी कताई परियोजना में से एक को  भी पूरा नहीं कर सकी जहां पर्याप्त राशि पहले ही खर्च की गई थी।

अब तक 12 मामले दीवालियापन की कार्रवाई से गुजर रहे
एस.ई.एल. ने एन.सी.एल.ए.टी. का रैफरल दिया है। अब 12 मामले दीवालियापन की कार्रवाई से गुजर रहे हैं। 13 जून को आर.बी.आई. ने एन.सी.एल.ए.टी. को  2.5 ट्रिलियन के करीब एक संयुक्त ऋण के साथ 12 परेशान कंपनियों को देखने का निर्देश दिया। एक को छोड़कर एस्सार स्टील लिमिटेड, एम.टैक. ऑटो लिमिटेड, भूषण पावर एंड स्टील सहित शेष 11 मामलों को ट्रिब्यूनल द्वारा भर्ती करवाया गया है।
 

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