बैंक घोटालेबाजों के साथ फसेंगे वकील और CA!

Monday, Jun 18, 2018 - 11:22 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः बैंकों के साथ फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने पर घोटाले में साथ देने वाले वकीलों, चार्टड अकाउंटेंट्स और वैल्यूअर्स का नाम भी उसमें शामिल किया जा सकता है। नीरव मोदी के अरबों के फ्रॉड से मुश्किलों में फंसे देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक पीएनबी ने पिछले हफ्ते अपने दफ्तरों को निर्देश जारी किया था कि एफआईआर में सिर्फ बॉरोअर या गारंटर नहीं, बल्कि घोटाले में हाथ होने की जानकारी मिले तो अडवोकेट, अकाउंटेंट और वैल्यूअर जैसी थर्ड पार्टी का भी नाम दें। जाली प्रॉपर्टी टाइटल डीड, फर्जी पता और इनकम टैक्स रिटर्न के आधार पर लोन लिए जाने की खबरें आने पर 14 जून को पीएनबी के फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट डिविजन की तरफ से यह अडवाइजरी जारी की गई थी।

लीगल या टैक्स प्रोफेशनल्स के घोटालेबाज बॉरोअर के साथ मिले होने की बात का पता चलने पर ज्यादातर बैंक उन्हें ब्लैकलिस्ट कर देते हैं लेकिन बैड लोन में बढ़ोतरी होने और विलफुल डिफॉल्टर्स के खिलाफ बढ़ते गुस्से को देखते हुए बड़े बैंकों ने उनसे कोई रियायत नहीं बरतने का फैसला किया है। बैंकों के बढ़ते लॉस और उनको उबारने में मोटी रकम लगने से परेशान सरकार ने भी अपनी नजरें उन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स और वकीलों पर गड़ा दी थीं जिन पर आमतौर पर बही खातों में हेरफेर करने और फर्जीवाड़े को छिपाने का शक होता हो। 

बैंक लोन देने से पहले आमतौर पर वकीलों की तरफ से जारी टाइटल सर्च और सीए की तरफ से जारी सॉल्वेंसी और दूसरे सर्टिफिकेट्स मांगते हैं। बैंक ये रिपोर्ट्स इंडिपेंडेंट प्रोफेशनल्स से लेते हैं इसलिए अगर ऐसी रिपोर्ट्स एकदम गलत होती हैं तो ये विश्वासघात और फर्जीवाड़ा जैसा हुआ। बॉम्बे हाई कोर्ट की तरफ से तय मानकों के हिसाब से समुचित तरीके से हुई सर्च में टाइटल से जुड़ी सभी खामियों को निकाला जाना जरूरी है। ऐसा नहीं होना उन प्रोफेशनल्स की तरफ से अमानत में खयानत होने जैसा है, जिनका काम अपने क्लाइंट्स के हितों की रक्षा करना है।
 

jyoti choudhary

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