बैंक ब्याज दर में कमी का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने के मुद्दे पर गौर करने को सहमत: वित्त मंत्रालय

Tuesday, Aug 06, 2019 - 10:55 AM (IST)

नई दिल्लीः रिजर्व बैंक की रेपो दर में कटौती के बावजूद बैंक ग्राहकों को कटौती का पूरा लाभ नहीं मिलने को लेकर बढ़ती शिकायतों के बीच वित्त मंत्रालय ने कहा कि बैंकों ने कर्ज की ब्याज दरों की समीक्षा करने पर सहमति जताई है। रिजर्व बैंक दिसंबर 2018 से मौद्रिक नीति को नरम रखे हुए हैं और पिछली तीन मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.75 प्रतिशत की कटौती की गई है। साथ ही रिजर्व बैंक ने नीति के रुख को बदलकर ‘नरम' कर दिया गया है।

एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘बैंकों को रिजर्व बैंक ने जितनी कटौती की है, उतना लाभ ग्राहकों को देने की जरूरत है। बैठक में बैंक आरबीआई के दिशानिर्देश के अनुसार अपनी ब्याज दर की समीक्षा को लेकर कदम उठाने पर सहमत हुए हैं।'' वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों एवं एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक तथा सिटी बैंक समेत निजी क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ बैठक के बाद यह विज्ञप्ति जारी की गई। वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि कर्ज वृद्धि, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों, वाहन, समय पर नीतिगत दर में कटौती का लाभ देने, डिजिटलीकरण, सेवा कर संबंधित मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।

कुमार ने कहा, ‘‘इसके पीछे सोच हर चीज का जायजा लेना तथा खासकर वाहन, कृषि, एमएसएमई जैसे क्षेत्रों में आर्थिक वृद्धि को गति देना है। साथ ही एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) और एचएफसी (आवास वित्त कंपनियों) के साथ संयुक्त रूप से कर्ज देने के मामले पर भी गौर किया गया। सीतारमण ने सूचीबद्ध कंपनियों में सार्वजनिक हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने से जुड़े मुद्दों पर भी बात की। बैठक में अन्य बातों के अलावा बैंकों ने डिजिटल भुगतान पर शुल्क की समीक्षा करने और इसमें कटौती पर प्रतिबद्धता जताई ताकि उसे ग्राहकों के लिए नकद भुगतान के मुकाबले सस्ता बनाया जा सके। उन्होंने मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग के जरिए उपलब्ध सेवाओं के विस्तार तथा इन डिजिटल मंचों पर क्षेत्रीय भाषाओं में सेवाओं की पेशकश को लेकर भी प्रतिबद्धता जताई। अन्य मुद्दों के अलावा बैंकरों ने उनके समक्ष आड़े आ रहे सेवा कर के मुद्दे को भी उठाया। विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस मुद्दे को राजस्व सचिव और केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के चेयरमैन ने नोट किया है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार उचित समय पर गौर करेगी।

Supreet Kaur

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