''फंसे कर्ज की स्थिति उतनी खराब नहीं, सुधार की उम्मीदें बरकरार''

Saturday, May 06, 2017 - 06:30 PM (IST)

जापानः देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एस.बी.आई.) ने कहा है कि देश में फंसे कर्ज की स्थिति उतनी खराब नहीं है जैसा समझा जा रहा है। जो भी राशि कर्ज में फंसी है वह उन उद्योगों से संबंधित है जो अभी कारोबार कर रहे हैं और आर्थिक वृद्धि में तेजी आने और इन उद्योगों के फिर से बेहतर कामकाज करने के बाद बैंक संभवत: राशि की वसूली कर लेंगे। 

भारतीय स्टेट बैंक की चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अरुंधति भट्टाचार्य ने एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि जो कर्ज गैर-निष्पादित राशि यानी एनपीए में परिवर्तित हुआ है उसकी वजह यह रही है कि कर्ज लेने वाले उद्योग अथवा इकाइयां इतनी कमाई नहीं कर पा रहीं हैं कि वह अपनी ब्याज देनदारी को पूरा कर सकें।   

क्रेडिट सुईस के मुताबिक कंपनियों का करीब 16.6 प्रतिशत कर्ज और जी.डी.पी. की 8.4 प्रतिशत राशि को एनपीए घोषित किया जा चुका है। बैंकों का कुल मिलाकर 9 लाख करोड़ रुपए से लेकर 12 लाख करोड़ रुपए तक की राशि दबाव वाली संपत्ति बन गई है। इसमें फंसा कर्ज, पुनर्गठित ऋण और कंपनियों को दिया गया एेसा ऋण भी शामिल है जिस पर ब्याज एवं किस्त का समय पर भुगतान नहीं किया जा सका है।   

सरकार ने कल एक अध्यादेश के जरिए बैंकिंग नियमन कानून में संशोधन कर रिजर्व बैंक को पुराने कर्ज की वसूली के बारे में निर्देश देने के लिए अधिक अधिकार दिए हैं। बैंकों को एनपीए की वसूली के लिए रिजर्व बैंक समितियां भी गठित कर सकता है जो बैंकों उचित सलाह देंगी। एशियाई विकास बैंक की 50वीं सालाना आम बैठक के अवसर पर ‘‘एशियाई बैंकिंग चुनौतीपूर्ण दौर में’ विषय पर एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए अरुंधति ने कहा, ‘‘मेरा अभी भी मानना है कि देश में काफी संभावनाएं हैं। गैर-निष्पादित जो कर्ज है उसके बारे में वास्तविकता यह है कि इसमें से काफी संपत्तियां एेसीं हैं जो अभी भी काम कर रही हैं।’’ 
 

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