नए लेखा मानकों से विमानन कंपनियां देख सकती हैं नफा- नुकसान में उतार चढ़ाव

Sunday, Apr 28, 2019 - 10:33 PM (IST)

नई दिल्ली: विमानन कंपनियों की समस्या निकट भविष्य में कम होती नहीं दिखती है। पट्टे पर विमान लेने के मामले में नए लेखा मानकों के अमल में आने पर उनके मुनाफे और घाटे में उल्लेखनीय में उतार-चढाव देखने को मिल सकता है। भारतीय लेखा मानक इंड एएस-116 एक अप्रैल से अमल में आ गए हैं। इन मानकों में पट्टे के मामले में मान्यता, प्रस्तुतीकरण और खुलासा करने के सिद्धांत भी शामिल हैं। 

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नए मानकों से विमानन जैसे कई क्षेत्रों पर महत्वपूर्ण असर पड़ेगा। विमानन क्षेत्र में ज्यादातर कंपनियां अधिकांश विमान पट्टे पर लेकर काम करती हैं। नए लेखा मानक ऐसे समय अमल में आए हैं, जब घरेलू विमानन क्षेत्र पहले से ही ईंधन की बढ़ी लागत, कड़ी प्रतिस्पर्धा, वित्तीय परेशानी और बुनियादी संरचना की समस्याओं से जूझ रहा है।

ईवाय इंडिया के नेशनल लीडर एवं पार्टनर (वित्तीय लेखा परामर्श सेवा) संदीप खेतान ने कहा है कि कई विमान डॉलर के हिसाब से पट्टे पर लिए गए हैं। जबकि अधिकांश विमानन कंपनियों के परिचालन की मुद्रा डॉलर नहीं है। उन्होंने कहा है कि नए भारतीय लेखा मानक के तहत प्रत्येक रिपोर्टिंग तारीख पर पट्टा देनदारी को नए सिरे से मुद्रा-विनिमय के हिसाब से दर्शाने की जरूरत है। इसमें मुद्रा विनिमय के आधार पर हुए नुकसान या लाभ को मुनाफे अथवा घाटे में दिखाना जरूरी है। इससे भारतीय विमानन कंपनियों के मुनाफे और घाटे में उल्लेखनीय उथल-पुथल हो सकती है।

विमानन उद्योग में कंपनियां सामान्यत: विमान खरीदने के बजाय पट्टे पर लेने को तरजीह देती हैं। नए प्रावधान के तहत कंपनियों को अपने खातों में सभी पट्टे पर लिए गए विमानों के बारे में बताना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे विमानन कंपनियों की शुद्ध आय पर पट्टे के करार के तहत शुरुआत में अधिक ब्याज के कारण नकारात्मक असर होगा। लेकिन बाद के वर्षों में आय पर इसका सकारात्मक प्रभाव होगा। इसके अलावा इन नए लेखा मानकों का असर कंपनियों के कर पूर्व आय और शुद्ध आय जैसे महत्वपूर्ण अनुपातों पर भी होगा।


 

Yaspal

Advertising