वित्तीय तंत्र के लिए खतरनाक है बैंकों के कार्डाें की गड़बड़ी: एसोचैम

Sunday, Oct 23, 2016 - 04:29 PM (IST)

नई दिल्लीः उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम ने कुछ बैंकों के क्रैडिट/डैबिट कार्डाें के साथ हुई गड़बड़ी को पूरे वित्तीय तंत्र के लिए खतरनाक बताते हुए कहा है कि भारत लंबे समय से वैश्विक साइबर अपराधियों के निशाने पर है और यह होना ही था। एसोचैम और महिन्द्रा एसएसजी के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि साइबर अपराधियों ने मालवेयर का इस्तेमाल करके कम्पयूटर सर्वरों को हैक किया और वित्तीय तंत्र को बड़े खतरे में डाल दिया। उसने कहा, ''अधिकांश बड़े बैंकों द्वारा कार्डों का वृहद स्तर पर वापस लिया जाना दुखद है। इससे न केवल वित्तीय नुकसान हुआ है बल्कि इसने हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लगाया है।''

एसोचैम ने कहा कि भारत वैश्विक हैकरों और साइबर अपराधियों की दिलचस्पी का केन्द्र बन गया है। भारत अमरीका और जापान के बाद इन हैकरों का तीसरा बड़ा निशाना बन गया है। रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले कुछ दशक में कम्पयूटरों के इस्तेमाल में बड़ी तेजी तथा इंटरनैट के विस्तार से साइबरस्पेस विकसित हुआ है। चूंकि साइबरस्पेस सीमाविहीन तथा अज्ञात है, किसी भी प्रकार के साइबर हमले की पहचान कर पाना मुश्किल हो जाता है। उसने आगे कहा कि मोबाइल धोखाधड़ी कंपनियों की नई चिंता बनता जा रहा है क्योंकि 35 से 40 फीसदी वित्तीय लेन-देन मोबाइल के मार्फत किए जा रहे हैं। वर्ष 2017 तक इसके बढ़कर 60 से 65 प्रतिशत तक हो जाने की संभावना है।

एसोचैम के अनुसार क्रैडिट और डैबिट कार्ड के साथ धोखाधड़ी साइबर अपराधों में शीर्ष पर है। पिछले 3 साल में इन मामलों में 6 गुणा बढ़ौतरी हुई है। आंकड़ों के अनुसार, साइबर अपराधों में सर्वाधिक 42 प्रतिशत शिकायतें क्रैडिट-डैबिट कार्डों तथा ऑनलाइन बैंकिंग से जुड़ी होती हैं। इसके बाद 31 प्रतिशत मामले फेसबुक से संबंधित होते हैं। 12 प्रतिशत मामले मोबाइल धोखाधड़ी, 10 प्रतिशत ई-मेल हैक करने तथा 5 प्रतिशत कॉल एवं एसएमएस से जुड़े होते हैं। उसने कहा कि इन अपराधों के केन्द्रों में अमरीका, यूरोपीय देश, ब्राजील, तुर्की, चीन, पाकिस्तान, बंगलादेश, अल्जीरिया और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। देश के अंदर आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र 3 शीर्ष साइबर आपराधिक केन्द्र हैं।  

एसोचैम ने कहा कि वर्ष 2013 में भारत में सिर्फ इंटरनैट धोखाधड़ी से करीब 24,630 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। वैश्विक हैकरों द्वारा भारतीय वैबसाइटों को वर्ष 2011 में 21,699 बार हैक किया गया जो वर्ष 2012 में 27,605, वर्ष 2013 में 28,481 तथा वर्ष 2014 में 36,554 हो गया।

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